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28 जुलाई 2008

सरकार ने फिर बढ़ाया प्याज का निर्यात मूल्य

प्याज निर्यातकों की अपेक्षा के अनुरूप सरकार ने प्याज के न्यूनतम निर्यात मूल्य (मिनिमम एक्सपोर्ट प्राइस; एमईपी) में 50डॉलर प्रति टन की बढ़ोतरी करने की घोषणा की।
शुक्रवार को की गयी इस घोषणा के बाद प्याज का निर्यात मूल्य 185 डॉलर से बढ़कर अब 235 डॉलर प्रति टन हो गया है। बताया जा रहा है कि प्याज निर्यात को बढ़ावा देने और घरेलू स्तर पर प्याज की उचित कीमत बनाए रखने के लिए सरकार ने ये कदम उठाए हैं।

सरकार द्वारा अभी 1 जुलाई को ही प्याज के न्यूनतम निर्यात मूल्य में 25 डॉलर की वृद्धि के बाद इसका एमईपी 160 डॉलर से बढ़कर 185 डॉलर प्रति टन पर पहुंच गया था। लेकिन एक ही महीने के भीतर अब इसमें फिर 50 डॉलर की वृद्धि कर दी गई है। इस तरह, मौजूदा सीजन में प्याज का यह सबसे ऊंचा स्तर हो गया है।

जानकारों के अनुसार, महाराष्ट्र, आंध्र प्रदेश और गुजरात में मानसून के आने में देर होने से प्याज की खरीफ फसल पर काफी बुरा असर पड़ रहा है। ऐसी स्थिति में प्याज की पैदावार घटने के पूरे आसार हैं। मालूम हो कि कुल प्याज उत्पादन का 40 फीसदी खरीफ सीजन में पैदा होता है जबकि शेष 60 फीसदी रबी सीजन में। दिल्ली की मंडियों में 1 जुलाई से इसका भाव 40 फीसदी बढ़कर 600 से 900 रुपये प्रति क्विंटल तक पहंच चुका है। खुदरा में इसका भाव 25 फीसदी बढ़कर 12 रुपये प्रति किलोग्राम हो गया है।

कारोबारियों के अनुसार, कम और देर बारिश होने के चलते रकबे में कमी होने की खबरों का प्याज की घरेलू कीमत पर मनोवैज्ञानिक असर पड़ा है। राष्ट्रीय कृषि सहकारी विपणन संघ (नैफेड) के एक अधिकारी ने बताया कि बाजार में कीमतें बढ़ने से हम लोगों ने कीमतों में दोबारा संशोधन करने का फैसला लिया है। गौरतलब है कि नैफेड के जिम्मे हर महीने प्याज के न्यूनतम निर्यात मूल्य को तय करने की जिम्मेदारी होती है। पिछले साल अप्रैल से जुलाई के बीच 3.11 लाख टन प्याज का निर्यात किया गया था।

जबकि इस साल अप्रैल से अब तक निर्यात में 36 फीसदी का उछाल आ गया है। जुलाई खत्म होने से पहले ही अब तक 4.25 लाख टन प्याज का निर्यात किया जा चुका है। अप्रैल से अब तक रुपये में हुई 5.5 फीसदी की मजबूती ने भी निर्यात बढ़ाने में असरदार भूमिका निभायी है। नैशनल हॉर्टीकल्चर रिसर्च एंड डेवलपमेंट फाउंडेशन (एनएचआरडीएफ) के मुताबिक, 2007-08 सीजन के दौरान प्याज का अनुमानित उत्पादन 70.45 लाख टन रहने का अनुमान है। यह 2006-07 की तुलना में 12 फीसदी ज्यादा है।......bs-Hindi

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