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19 सितंबर 2008

कमज़ोर रुपये से मिला मसाला-निर्यात को सहारा

मुंबई : रुपये में आई कमज़ोरी मसाला-निर्यातकों के लिए एक अच्छी खबर है। रुपये के नरम पड़ने से अंतर्राष्ट्रीय बाज़ार में देश के मसालों को अच्छा भाव मिल सकता है। देश में सालाना 4 करोड़ टन से भी ज़्यादा मसाला उत्पादन होता है। कुल 180 मसाले 150 देशों में निर्यात किए जाते हैं। कारोबारी साल 2008-09 के पहले चार महीनों में जीरा, मिर्च और हल्दी की भारी मांग के चलते मसालों के निर्यात में 14.7 परसेंट की बढ़त देखी गई। अगर उत्पादन की बात की जाए तो इस साल जीरा का उत्पादन सीरिया और टर्की जैसे देशों के मुकाबले कहीं ज़्यादा है। ऐसे में सिर्फ 2008 में ही रुपये के 15 परसेंट तक कमज़ोर पड़ने से निर्यातकों को फायदा होना तय है। स्पाइस बोर्ड के डेप्युटी डायरेक्टर श्रीकुमार के मुताबिक अन्य देशों के मुकाबले भारतीय मसालों की कीमतें ज़्यादा कंपटीटिव होंगी। वहीं मुंबई के जीरा निर्यातक भास्कर शाह का कहना है कि पहले बुक किए गए ऑर्डर्स पर भी उन्हें अच्छा मुनाफा होगा। लेकिन बाकि देशों की मुद्राएं भी डॉलर के मुकाबले कमज़ोर पड़ रही हैं जो मसाला निर्यातकों के लिए अच्छा संकेत नहीं (ET Hindi)

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