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22 सितंबर 2008

सीटीटी लागू होने की उम्मीद नहीं

नई दिल्ली। केंद्रीय वित्त मंत्री द्वारा बजट में प्रस्तावित कमोडिटी ट्रांजैक्सन टैक्स (सीटीटी) को क्षस साल के अंत तक लागू होने की संभावनाएं कम हो गई हैं। कमोडिटी कारोबारियों और वायदा एक्सचेंजों के विरोध की वजह से सरकार अब तक इसे लागू करने में देरी करती आई है। कारोबारियों का मानना है कि इस कर के लगने से वायदा कारोबार में गिरावट के साथ अवैध तरीके से होने वाले कारोबार को भी बढ़ावा मिल सकता है। गौरतलब है कि साल 2008-09 के बजट भाषण के दौरान केंद्रीय वित्त मंत्री पी चिदंबरम ने कमोडिटी वायदा एक्सचेंजों में होने वाले वायदा कारोबार पर कमोडिटी ट्रांजैक्सन टैक्स लगाने का घोषणा किया था। इसके तहत प्रति एक लाख के सौदे पर 0.017 फीसदी का कर लगाया जा सकता था। लेकिन कारोबारियों और कमोडिटी वायदा एक्सचजों के विरोधों को देखते हुए सरकार इसे अभी तक अधिसूचित नहीं कर सकी है। हालांकि बीच-बीच में इसे अधिूचित होने की अफवाहें बाजार में कारोबार को प्रभावित करती रहीं हैं।केंद्रीय उपभोक्ता मामला मंत्रालय के सूत्रों के मुताबिक सरकार इस साल के अंत तक कमोडिटी ट्रांजैक्सन टैक्स को अधिसूचित नहीं कर सकेगी। सूत्रों का कहना है कि खुद केंद्रीय वित्त मंत्रालय इसे लागू नहीं करने पर विचार कर रहा है।सरकारी सूत्रों का कहना है कि ताईवान को छोड़कर सीटीटी दुनिया के किसी भी देश में नहीं लगता है। ताईवान में कमोडिटी वायदा कारोबार वहां के स्टॉक एक्सचेंज में ही होता है। यहां स्टॉक एक्सचेंज के पूर कारोबार में कमोडिटी वायदा कारोबार की हिस्सेदारी महज 0.03 फीसदी है। ऐसे में जब पूरी दुनिया में करीब 99.9 फीसदी कारोबार में किसी तरह का सीटीटी नहीं लगता है, लिहजा भारत में होने वापले कमोडिटी वायदा कारोबार पर इस तरह का कर लगने का कोई तुक नहीं है। इसके अलावा सरकार को पहले से ही कमोडिटी कारोबार से दूसर तरह के करों के रुप में धन जाता रहा है। उल्लेखनीय है कि वित्त मंत्री द्वारा बजट भाषण के दौरान इस कर के प्रस्ताव के बाद कमोडिटी एक्सचेंजों के प्रतिनिधियों ने केंद्रीय कृषि मंत्री शरद पवार से इसे हटाने को लेकर मुलाकात की थी। जानकारों का मानना है कि अगर उक्त टैक्स को लागू किया जाता है तो जिंस वायदा बाजार के दैनिक कारोबार में कमी आ सकती है।हालांकि तब सरकार की तरफ से विशेषज्ञों के सुझाव और वायदा कारोबार पर इसके असर की समिक्षा का आव्श्राशन दिया गया था। एक्सचेंजों का मानना है कि कमोडिटी ट्रांजैक्सन टैक्स का सिक्यूरिटी ट्रांजैक्सन टैक्स से तुलना नहीं किया जा सकता है। चुकी कमोडिटी कंपनियों के शेयर की तरह नहीं है। लिहाजा इसके लागू होने से देश में अवैध तरीकों से होने वाले कारोबार को बढ़ावा मिल सकता है। जिसका असर जिंसों के हाजिर कीमतों पड़ने की आशंका तजाई जा रही है। (Business Bhaskar)

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