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25 सितंबर 2008

रबी के बीजों की हो सकती है भारी कमी

नई दिल्ली : रबी की फसल की बुआई के समय इस बार देश के कई राज्यों को प्रमाणित बीजों की भारी कमी से दो-चार होना पड़ सकता है। राष्ट्रीय बीज योजना के तहत रबी की फसल के लिए इस साल जितनी बीजों की जरूरत बताई गई थी, उसके मुकाबले काफी कम बीजों की सप्लाई की आशंका जताई जा रही है। गुजरात, मध्यप्रदेश, छत्तीसगढ़, कर्नाटक, जम्मू और कश्मीर, हिमाचल प्रदेश, उड़ीसा, झारखंड, पश्चिम बंगाल, बिहार, असम और मेघालय में बीजों की किल्लत सबसे ज्यादा हो सकती है। विशेषज्ञों का कहना है कि इसके कारण अच्छे मानसून, खाद की बढ़ती खपत और कृषि योग्य जमीन में नमी के बावजूद रबी की पैदावार में भारी कमी का खतरा पैदा हो गया है। कुल मिलाकर इस साल रबी की फसल की बुआई के समय 258,87 लाख क्विंटल बीजों की जरूरत होगी, जबकि आपूतिर् में इससे 44.90 लाख क्विंटल की कमी रह सकती है। धान, ज्वार और दालों (चना, मसूर, अरहर) में यह कमी सबसे ज्यादा होगी, जबकि उड़द, तिल और दूसरे तिलहनों में भी बीजों की आंशिक कमी होने का अनुमान है। रबी की बुआई में केवल अनाज की फसलों के लिए 184.77 लाख क्विंटल बीजों की जरूरत होने का अनुमान है, जबकि इसमें 34.47 लाख क्विंटल बीजों की कमी का सामना करना पड़ेगा। यह स्थिति तब है जब वर्ष 2005-06 के मुकाबले अनाज के इन बीजों की खपत दोगुनी हो गई है। तिलहन फसलों में सबसे ज्यादा सूरजमुखी के बीजों की कमी होगी। जो कुछ कसर बाकी रह गई थी वह लगातार दूसरे साल आयोजित 2 दिवसीय रबी कैंपेन ने पूरी कर दी। कैंपेन में पंजाब, हरियाणा और उत्तर प्रदेश जैसे प्रमुख गेहूं उत्पादक राज्यों में गेहूं की पैदावार में आ रहे ठहराव को लेकर चेतावनी दी गई। जहां पिछले कुछ सालों तक रबी की फसल के कुल उत्पादन में गेहूं की हिस्सेदारी 73 फीसदी से ज्यादा होती थी, उसके अब 72 फीसदी या इससे रहने का अनुमान है। (ET Hindi)

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