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25 सितंबर 2008

चावल खरीद ने बनाया रेकॉर्ड

नई दिल्ली September 24, 2008
वर्ष 2007-08 के खरीफ मार्केटिंग सीजन (अक्टूबर से सितंबर) में चावल की सरकारी खरीद अब तक के सबसे ऊंचे स्तर पर चली गई है। सरकार का लक्ष्य इस दौरान 2.76 करोड़ टन चावल खरीदने का था लेकिन इसकी खरीद लक्ष्य से कहीं अधिक हुई है। अब तक करीब 2.79 करोड़ टन चावल खरीदा जा चुका है। भारतीय खाद्य निगम के अध्यक्ष और प्रबंध निदेशक आलोक सिन्हा ने बताया कि सीजन खत्म होने में अभी हफ्ते भर की देर है लिहाजा उम्मीद की जा रही है कि इस सीजन में 2.8 करोड़ टन चावल की खरीद हो जाएगी।2005-06 में जहां 2.76 करोड़ टन चावल सरकार ने खरीदा था वहीं 2006-07 में महज 2.51 करोड़ टन चावल की खरीद हो पाई थी।इस साल रबी सीजन में गेहूं ने भी खरीद का रेकॉर्ड बनाया जब तकरीबन 2.254 करोड़ टन गेहूं सरकारी एजेंसियों ने किसानों से खरीदे। इस तरह खाद्यान्न की कुल खरीद मौजूदा सीजन में 5.044 करोड़ टन तक पहुंच गई है। मालूम हो कि खरीदे गए अनाज का इस्तेमाल जनवितरण प्रणाली के जरिए कई कल्याणकारी लोगों को सस्ते दर पर मुहैया कराने में होता है। जानकारों के मुताबिक, चावल की रेकॉर्ड खरीद से गेहूं की तरह चावल की भी खुली बिक्री कर सकेगी। मालूम हो कि ओपेन मार्केट सेल स्कीम (ओएमएसएस) के तहत सरकार बाजार में गेहूं की बिक्री कर रही है। 21 अगस्त को केंद्र की आर्थिक मामलों की मंत्रिमंडलीय समिति ने गेहूं के साथ-साथ चावल की भी खुली बिक्री की इजाजत दे दी थी।हालांकि हस्तक्षेप का समय और मात्रा तय करने की जिम्मेदारी सरकार ने सचिवों की समिति पर छोड़ दी। चावल की खरीद हरियाणा और छत्तीसगढ़ को छोड़ बाकी सारे राज्यों में पिछले साल से ज्यादा रही है। हरियाणा में पिछले साल जहां 17.7 लाख टन चावल खरीदा गया वहीं इस साल महज 15.7 लाख टन की ही खरीद हो पायी। छत्तीसगढ़ की बात करें तो यहां 26.6 लाख टन चावल खरीदा गया है जबकि पिछले साल यहां 28.4 लाख टन चावल खरीदा गया था।केंद्रीय पूल में सबसे ज्यादा योगदान इस बार भी पंजाब ने दिया है। राज्य ने मौजूदा सीजन में 79 लाख टन चावल खरीदे हैं तो उससे ठीक पीछे आंध्र प्रदेश रहा है। आंध्र प्रदेश में 71.6 लाख टन चावल की खरीद हुई है। उत्तर प्रदेश का स्थान इसके बाद है जहां 28 लाख टन चावल खरीदा गया है।उल्लेखनीय है कि थोक मूल्य सूचकांक में चावल की हिस्सेदारी 25 से 30 फीसदी की है। इसकी कीमतों में 25 से 30 फीसदी का उछाल होने से महंगाई दर पर असर पड़ा जिसके चलते सरकार को गैर-बासमती चावल के निर्यात पर पाबंदी के लिए मजबूर होना पड़ा।हालांकि इस महीने की शुरुआत में पूसा-1121 चावल के निर्यात को सरकार ने मंजूरी दे दी। 2007-08 खरीफ सीजन में नियम बनाया गया कि 10 हजार टन से अधिक चावल खरीदने पर राज्य सरकार को इसकी सूचना देनी होगी जबकि 25 हजार टन से अधिक खरीदारी करने पर सूचना केंद्रीय खाद्य विभाग को देने का नियम बना दिया गया। (BS Hindi)

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