कुल पेज दृश्य

22 सितंबर 2008

रुपया गिरने से काली मिर्च के निर्यात को फायदा

नई दिल्ली। डॉलर के मुकाबले रुपये की कमजोरी से काली मिर्च निर्यातको के चेहरे खुशी से खिल गए है। रुपये के कमजोर होने से विश्व बाजार में भारतीय काली मिर्च दूसरे देशों के मुकाबले सस्ती हो गई है। जिससे यहां से काली मिर्च का निर्यात बढ़ गया है। पिछले एक महीने में डॉलर के मुकाबले रुपया करीब सात फीसदी कमजोर हो गया है। इस साल 16 अगस्त को डॉलर की कीमत 43.05 रुपये थी जो इस समय बढ़कर 46 रुपये प्रति डॉलर के करीब पहुंच गई है। जिससे विश्व बाजार में भारतीय कालीमिर्च के दाम वियतनाम से कम हो गये हैं। देश में आस्था क्वालिटी के दाम 3200 डॉलर प्रति क्विंटल के स्तर पर है जबकि वियतनाम में इसी क्वालिटी के दाम 3225 डॉलर प्रति क्विंटल पर हैं। कोच्चि से भारतीय काली मिर्च और मसाला निर्यात संघ (आईपीएसटीए) के उपाध्यक्ष अजय अग्रवाल ने कहा कि पिछले पंद्रह दिनों में करीब 1200 टन कालीमिर्च के निर्यात सौदे हुए हैं जबकि इससे पहले हर माह करीब 800-1000 टन के सौदे होते थे। डॉलर के मुकाबले रुपये में कमजोरी की वजह से विश्व में भारतीय कालीमिर्च अपने प्रमुख प्रतिद्वंदी वियतनाम से सस्ती होने से मांग बढ़ गई है। देश से होने वाले कुल निर्यात में 80 फीसदी निर्यात आस्था क्वालिटी की काली मिर्च का निर्यात होता है। अजय के अनुसार इस साल की शुरूआत से अगस्त तक 18,000 टन कालीमिर्च का निर्यात हो गया है। यदि देश में दाम इसी स्तर पर बने रहे तो देश से कालीमिर्च का निर्यात पिछले साल के मुकाबले बढ़ सकता है। साथ ही कालीमिर्च के प्रसंस्कृत उत्पादों जैसे कालीमिर्च पाउडर और ट्र्स्ट पेपर की निर्यात मांग में भी बढ़ोतरी हुई है। इसी अवधि में पिछले साल करीब 20,000 टन का निर्यात हो गया था। 2008 में देश में कालीमिर्च का उत्पादन 45,000 टन हुआ है। जबकि 2007 में कालीमिर्च का उत्पादन 52,000 टन हुआ था। देश में नई कालीमिर्च की आवक फरवरी में शुरू हो जाती है। (Business Bhaskar)

कोई टिप्पणी नहीं: