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29 अक्तूबर 2008

कपास किसानों के हिस्से में हताशा

नई दिल्ली October 27, 2008
कपास और सोयाबीन के किसान उम्मीद के मुताबिक कीमत न मिलने से काफी हताश और परेशान हैं।
अब जबकि सोयाबीन और कपास दोनों की नई फसल मंडी में आनी शुरू हो गई है तब उत्पादकों को न्यूनतम समर्थन मूल्य से भी कम कीमत पर कपास बेचने को मजबूर होना पड़ रहा है। सोयाबीन किसानों की हालत भी कुछ ऐसी है। इस बार बेहतर उत्पादन और अंतरराष्ट्रीय बाजार में सोयाबीन की कीमतें घटने से इस बात की पूरी आशंका है कि सोयाबीन उत्पादकों को फसल की बेहतर कीमत नहीं मिल पाएगी।बाजार सूत्रों के मुताबिक, पंजाब की मंडियों में कपास की आवक शुरू हो गई है। फिलहाल यहां कपास 2,600 से 2,700 रुपये प्रति क्विंटल की दर से बिक रहा है। मालूम हो कि इसका न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) 2800 रुपये प्रति क्विंटल है। वैसे देखा जाए तो पिछले साल की तुलना में कपास का मौजूदा बाजार भाव करीब 500 रुपये ज्यादा है। पिछले साल इस समय कपास का बाजार भाव 2100-2200 रुपये प्रति क्विंटल था। कपास की नई फसल की आवक शुरू होते ही अंतरराष्ट्रीय बाजार की हालत और भी खराब हो गई है। इस बार कपड़ों के निर्यात में 10 फीसदी की कमी होने से कपास की मांग भी जस की तस बनी हुई है।उल्लेखनीय है कि किसान जिस समय कपास की बुआई कर रहे थे उस समय इस बात के कयास थे कि इस साल कपास की बिक्री की शुरुआत ही 3,500 रुपये प्रति क्विंटल की दर से होगी। लेकिन ये कयास अब गलत साबित हो रहे हैं। अंतरराष्ट्रीय बाजार में कपास की मांग इस तरह घटी कि इसकी कीमत महज 2,600 से 2,700 रुपये प्रति क्विंटल के रेंज में चल रहे हैं। पिछले साल कपास की एमएसपी 1,950 रुपये प्रति क्विंटल थी, लेकिन चीन और अमेरिका का बाजार तेज होने से कपास की कीमतें जुलाई में 5,000 रुपये प्रति क्विंटल को भी पार कर गई।हालत तो ऐसी हो गई थी कि कपड़ा कारोबारी संघों ने कपास निर्यात पर पाबंदी की मांग करने लगे। कमोबेश यही हाल सोयाबीन का है। सोयाबीन की नई फसल की कीमत इन दिनों 1500-1600 रुपये प्रति क्विंटल पर है। पिछले साल की समान अवधि में सोयाबीन लगभग 2,000 रुपये प्रति क्विंटल की दर से बेचा जा रहा था। सूत्रों के मुताबिक, सोयाबीन की कीमत में तेजी की संभावना इसलिए भी नहीं है कि फिलहाल पाम तेल जमीन पर है। दो माह पहले 55-60 रुपये प्रति किलोग्राम तक बिकने वाला पाम तेल फिलहाल 36-37 रुपये प्रति किलोग्राम के भाव बिक रहा है। दूसरी बात कि अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल की कीमत लगातार कम हो रही है। इससे भी सोयाबीन को कोई समर्थन नहीं मिल रहा है। वैसे इस साल देश में सोयाबीन का उत्पादन भी पिछले साल की तुलना में ज्यादा है। तेल कारोबारियों के मुताबिक, सोयाबीन की कीमत में तेजी तभी आएगी जब कच्चे तेल के साथ पाम तेल में भी तेजी आए। (BS Hindi)

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