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20 नवंबर 2008

इलायची में नरमी का रुख

इलायची का उत्पादन बढ़ने और निर्यातकों के साथ-साथ आढ़तियों की मांग में कमी आने से भावों में गिरावट का रुख बना हुआ है। नीलामी केंद्रों पर एक सप्ताह में इसके भाव 30 से 40 रुपये प्रति किलो गिर चुके हैं। जानकारों के अनुसार भारत में अनुकूल मौसम से उत्पादन बढ़ने और ग्वाटेमाला में आने वाली नई फसल का उत्पादन अच्छा होने से इसके भावों में और भी गिरावट आ सकती है।केरल की कुमली मंडी के मैसर्स अग्रवाल स्पाईसेज के अरुण कुमार ने बिजनेस भास्कर को बताया कि नीलामी केंद्र पर इलायची की साप्ताहिक आवक 250 से 280 टन की हो रही है तथा इस समय चूंकि चौथी तुड़ाई चल रही है इसलिए सात व आठ एमएम बोल्ड क्वालिटी की इलायचीं की ज्यादा आवक हो रही है। उन्होंने बताया कि आवक तो बढ़ी है लेकिन घरेलू स्टॉकिस्टों के साथ ही निर्यात मांग कमजोर होने से नीलामी केंद्रो पर पिछले एक सप्ताह में इलायची के भावों में 30 से 40 रुपये की गिरावट आकर 6.5 एमएम के भाव 500 रुपये, 7 एमएम के भाव 540 से 550 रुपये और 8 एमएम के भाव 600 से 620 रुपये प्रति किलो रह गए। इलायची के निर्यातक अशोक पारिख ने बताया कि ग्वाटेमाला में नई फसल की आवक दिसंबर के आखिर व जनवरी के प्रथम पखवाड़े में बन पाएगी। उन्होंने बताया कि चालू फसल सीजन में अनुकूल मौसम से देश में इलायची का उत्पादन बढ़कर 12,000 टन होने के आसार हैं जबकि प्रतिकूल मौसम से गत वर्ष देश में इसका उत्पादन मात्र 9470 टन का ही हुआ था। युनाइटेड प्रोड्यूसर एसोसिएशन ऑफ सदर्न इंडिया (यूपीएएसआई) के मुताबिक वर्ष 2007-08 में इलाइची का निर्यात 500 टन का हुआ था जबकि चालू वित्त वर्ष में अप्रैल से जुलाई तक कुल निर्यात 145 टन का ही हुआ है। उन्होंने उम्मीद जताई की चालू वित्त वर्ष में भी इसका निर्यात गत वर्ष के बराबर ही रहने की उम्मीद है। क्वालिटी में भारतीय इलायची उम्दा होने के कारण खाड़ी देशों को ज्यादा निर्यात होता है। (Business Bhaskar)

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