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29 दिसंबर 2008

जिंस वायदा करोबार 40 प्रतिशत बढ़ा

आसमान पर महंगाई, राजनीतिक विरोध और कई जिंसों के वायदा पर बंदिशों के बावजूद इस साल कमोडिटी वायदा कारोबार 40 फीसदी बढ़ गया जो इस साल के अंत तक 50 लाख करोड़ रुपये तक पहुंचने के करीब है। नवंबर के अंत तक देश भर के कमोडिटी एक्सचेंजों का कारोबार 46,65,295 करोड़ रुपये के स्तर पर छू चुका है। जिसे साल के अंत तक बढ़कर करीब पचास लाख करोड़ रुपये के स्तर तक जाने की उम्मीद जताई जा रही है। पिछले साल के दौरान कमोडिटी एक्सचेंजों ने 36,53,895 करोड़ रुपये का कारोबार किया था। साल के शुरूआत में ही केंद्र ने फॉरवर्ड कांट्रैक्ट रग्यूलेशन एक्ट के जरिये वायदा बाजार आयोग को ज्यादा अधिकार देने की कोशिश की गई। लेकिन कीमतों में लगी आग से महंगाई दर में रिकार्ड वृद्धि होने और राजनीतिक दलों के विरोध से यूपीए सरकार अध्यादेश को संसद में पास कराने में विफल रही। बढ़ती महंगाई का हवाला देकर सरकार को इस साल मई में सोया तेल, रबर, चना और आलू के वायदा कारोबार पर रोक भी लगानी पड़ी जो नवंबर तक जारी रही। महंगाई की आंच धीमी होने के बाद इस महीने से इन जिंसों में दोबारा वायदा कारोबार शुरू हो गया है। लेकिन पिछले साल से गेहूं, चावल, तुअर और उड़द के वायदा पर लगी रोक अभी भी जारी है। वायदा कारोबार महंगाई के लिए कितना जिम्मेदार है, इसकी पड़ताल के लिए पिछले साल मार्च में योजना आयोग के सदस्य अभिजीत सेन की अध्यक्षता में एक समिति का गठन किया था। जिसने अप्रैल में वायदा कारोबार को क्लीन चिट देते हुए अपनी रिपोर्ट सरकार को सौंप दी। प्रतिबंध से कृषि जिंसों के कारोबार के विकास में नवंबर तक करीब 32 फीसदी की गिरावट आई है। एआरपीएल एग्री बिजनेस सर्विस के प्रबंध निदेशक विजय सरदाना के मुताबिक सरकार यदि कृषि जिंसों के वायदा पर रोक नहीं लगाती तो इस साल कारोबार में और इजाफा हो सकता था। जनवरी से नवंबर तक एनसीडीईएक्स का कारोबार गिरकर 5,98,257.42 करोड़ रुपये रहा है। पिछले साल इसी अवधि में 7,33,478.87 करोड़ रुपये का कारोबार हुआ था। गैर कृषि जिंसों में कारोबार बढ़ने से एमसीएक्स में 39,56,459.12 करोड़ रुपये का कारोबार हुआ। पिछले साल इस अवधि में 25,04,904.21 करोड़ रुपये का कारोबार हुआ था।बजट में प्रस्तावित कमोडिटी ट्रांजैक्शन टैक्स से भी वायदा कारोबार साल भर चर्चा का विषय रहा। कमोडिटी वायदा कारोबार में मोटे मुनाफे को देख रिलायंस मनी, कोटक, एमएमटीसी और इंडिया बुल्स जैसे दिग्गज इसमें हाथ आजमाने का संकेत दे चुके हैं। एमएमटीसी और इंडिया बुल्स संयुक्त उपक्रम के तहत अगले साल अप्रैल से कमोडिटी एक्सचेंज लाने की तैयारी में हैं। रिलायंस मनी एनएमसीई में हिस्सेदारी खरीदी है। कोटक समूह अहमदाबाद कमोडिटी एक्सचेंज में हिस्सेदारी खरीद चुका है। एमसीएक्स भी न्यूयार्क कमोडिटी एक्सचेंज में पांच फीसदी की हिस्सेदारी ले चुका है। (Business Bhaskar)

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