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24 दिसंबर 2008

वायदा हो या हाजिर बाजार, चीनी में बढ़ रही 'मिठास'

नई दिल्ली December 23, 2008
कीमत के लिहाज से चीनी की मिठास लगातार बढ़ती ही जा रही है। पिछले माह की तुलना में अब तक चीनी की कीमत में 3 फीसदी की बढ़ोतरी हो चुकी है।
इस साल चीनी के उत्पादन और खपत को देखते हुए ऐसा लग रहा है कि यदि यह फरवरी-मार्च तक 24 रुपये प्रति किलोग्राम तक पहुंच जाए तो कोई आश्चर्य नहीं होगा। दूसरी ओर, अगले साल के लिए चीनी के सरकारी स्टॉक में भी गिरावट की पूरी संभावना बनती नजर आ रही है। कारोबारी आगामी जून-जुलाई के बाद चीनी की आपूर्ति में दिक्कत की आशंका जाहिर कर रहे हैं। दिल्ली के थोक बाजार में चीनी 2,000 रुपये प्रति क्विंटल की दर से बिक रही है, जबकि हाजिर बाजार में नवंबर में चीनी 1,940 रुपये प्रति क्विंटल पर थी। कारोबारियों के मुताबिक, ताजी आवक के बावजूद चीनी के दाम में गिरावट की कोई संभावना नहीं है। वायदा बाजार भी कारोबारियों की इस भविष्यवाणी की पुष्टि कर रहा है। वायदा बाजार में फरवरी-मार्च के लिए चीनी की कीमत 1950-1975 रुपये प्रति क्विंटल चल रही है। यह कीमत कोल्हापुर डिलीवरी केंद्र के लिए है। ऐसे में दिल्ली और अन्य थोक बाजार में पहुंचते-पहुंचते चीनी की कीमत में कम से कम 2 रुपये प्रति किलोग्राम का इजाफा हो जाएगा। इसके अलावा थोक कारोबारियों का मुनाफा भी इस कीमत में जोड़ा जाएगा। ऐसे में मार्च तक चीनी की कीमत 23.50-24 रुपये प्रति किलोग्राम तक पहुंच जाएगी। कीमत में बढ़ोतरी की मुख्य वजह इस साल चीनी उत्पादन में 25 फीसदी तक की गिरावट होना बताई जा रही है। साथ ही, चीनी का सरकारी स्टॉक भी लगभग 80 लाख टन ही है। इस साल के लिए 2 करोड़ टन चीनी के उत्पादन का अनुमान है, जबकि पिछले मौसम में चीनी का उत्पादन 2.65 करोड़ टन रहा था। देश भर में चीनी की सालाना खपत करीब 2.35 करोड़ टन है। यानी सरकार को घरेलू मांग की पूर्ति के लिए अपने स्टॉक में से 35 लाख टन चीनी बाजार में जारी करना पड़ेगा। उसके बाद सरकार के पास महज 45 लाख टन चीनी का स्टॉक रह जाएगा। चीनी के थोक कारोबारी एवं दिल्ली ग्रेन मचर्ट एसोसिएशन के महामंत्री विक्की गुप्ता कहते हैं, 'पूरे साल भर में 20-25 लाख टन चीनी नमी के कारण बेकार हो जाती है। यह मात्रा घटाने के बाद सरकारी स्टॉक में मात्र 20-25 लाख टन चीनी ही बचेगी।' कारोबारियों के मुताबिक, इस स्थिति में वर्ष 2009-10 के दौरान गन्ने के उत्पादन में बढ़ोतरी न होने पर चीनी की कीमत काफी तेज हो सकती है और सरकार को घरेलू मांग की पूर्ति के लिए वैकल्पिक उपायों का सहारा लेना पड़ेगा। चीनी कारोबारियों की यह शिकायत भी है कि चीनी के मामले में सरकारी कोटा के कारण उन्हें कई बार नुकसान उठाना पड़ता है।गुप्ता कहते हैं, 'गत जुलाई माह में सरकारी कोटा के तहत 14 लाख टन चीनी बाजार में बिक्री के लिए उपलब्ध होना था, लेकिन सरकार की तरफ से मात्र 9 लाख टन चीनी जारी करने का आदेश दिया गया। परिणामस्वरूप चीनी के भाव उस दौरान 4 रुपये प्रति किलोग्राम तक उछल गए।' वे कहते हैं कि कई बार निर्धारित कोटा से अधिक चीनी जारी करने पर भाव मंद हो जाता है, लिहाजा कारोबारियों को नुकसान के साथ कम कीमत पर ही चीनी बेचनी पड़ती है। (BS Hindi)

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