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01 जनवरी 2009

दूसरी तिमाही बाद ही स्टील के लिए संभावनाएं

स्टील इंडस्ट्री के लिए आने वाला नया साल भी कोई खास संभावनाएं नहीं दिख रहा है। बड़े ग्राहक जैसे ऑटो, कंस्ट्रक्शन और इंडस्ट्रियल उत्पादन करने वाली कंपनियों का कारोबार लगातार गिर रहा है। आने वाले साल में भी स्टील इंडस्ट्री के लिए मांग में कमी की समस्या बनी रह सकती है। अगर सरकार दूसरे राहत पैकेज में इंडस्ट्री की मांग को पूरा करती है तो स्टील इंडस्ट्री की दशा सुधर सकती है। साल की शुरूआत में स्टील उद्योग की विकास दर 11 फीसदी के आसपास थी लेकिन अक्टूबर-नवंबर आते-आते विकास दर महज चार फीसदी के आसपास रह गई । हालांकि स्टील मंत्रालय और कंपनियों को उम्मीद है कि अगले साल की दूसरी तिमाही के बाद मांग फिर से बढ़ेगी। 2008 के पहले छह महीनों में स्टील कंपनियों ने अंतरराष्ट्रीय और घरलू मांग में बढ़त से अपने उत्पादों की कीमतों में जबरदस्त बढ़ोतरी की। सरकार को स्टील पर आयात शुल्क पूरी तरह से हटाना पड़ा और निर्यात पर शुल्क लगाया गया। इसके बावजूद, घरलू बा•ार में स्टील की कीमतें 52000 रुपये प्रति टन के रिकार्ड स्तर पर पहुंची। कंपनियों के लिए कच्चा माल भी काफी मंहगा हुआ। लौह अयस्क की कीमतें सितंबर में दो ह•ार रुपये प्रति टन के रिकार्ड स्तर पर पहुंच गई थी। कोकिंग कोल की कीमत भी पिछले साल के 103 डॉलर प्रति टन से बढ़कर इस साल सितंबर तक 380 डॉलर प्रति टन के ऊपर पहुंच गई। देश मार्च 2008 में विश्व स्टील उत्पादन में पांचवे नंबर पर था, फिलहाल भारत का कुल स्टील उत्पादन 5.3 करोड़ टन है। लेकिन चीन में ओलंपिक खत्म होने के बाद स्टील की मांग में गिरावट शुरू हुई। जिससे टाटा स्टील, जेएसडब्लू, एस्सार और इस्पात जैसी बड़ी कंपनियों ने अपना उत्पादन 20-25 फीसदी तक कम कर दिया। कमी के कारण कंपनियों का स्टॉक बढ़ता जा रहा था और डीलर माल उठाने से इंकार कर रहे थे। मांग के अभाव में स्टील की कीमतें करीब 30-40 फीसदी तक गिरकर 30000 रुपये प्रति टन तक आ गई।इस्पात इंडस्ट्रीज के प्रबंध निदेशक विनोद मित्तल के मुताबिक चीन और यूक्रे न से आ रहे सस्ते स्टील की वजह से स्टील कंपनियों को काफी नुकसान हो रहा है। जेएसडब्लू स्टील के प्रबंध निदेशक सज्‍जान जिंदल के मुताबिक स्टील कंपनियों ने सरकार के कहने पर अपनी कीमतों में बढ़ोतरी मई के बाद रोक दी थी। लेकिन अगस्त के बाद से तो मांग एकदम गिरने लगी और कंपनियों की हालत खराब होने लगी। स्टील अथॉरिटी ऑफ इंडिया लि. (सेल) ने भी अपने विस्तार कार्यक्रम को पहले के मुकाबले कुछ धीमा कर दिया है और अब कंपनी पहले की अपनी विस्तार योजना को 2011 के मुकाबले 2015 तक पूरा करने की सोच रही है। दरअसल स्टील कंपनियों के लिए इन दिनों विस्तार योजनाओं के लिए रकम का इंत•ाम करना भी मुश्किल हो गया है। इन कंपनियों का स्टॉक मार्केट में प्रदर्शन भी काफी गिरा है। पिछले साल के नवंबर के मुकाबले फिलहाल बीएसई पर मेटल इंडैक्स 72 फीसदी तक गिरकर 5188 अंक पर आ गया है। देश की सबसे बड़ी स्टील कंपनी स्टील अथॉरिटी ऑफ इंडिया का शेयर 280 रुपये से गिरकर फिलहाल 63 रुपये पर आ गया है। (Business Bhaskar)

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