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23 दिसंबर 2008

मौसम आया...मगर काम नहीं!

नई दिल्ली December 22, 2008
अक्टूबर से दिसंबर तक 24 घंटे पेराई करने वाली सोयाबीन मिल इन दिनों जाम हो गई हैं।
क्योंकि कच्चे माल की कमी के साथ-साथ सोया तेल व सोया केक की मांग में आयी गिरावट ने इन मिलों पर ब्रेक लगा दिया है।कुछ मिलें तो महीने में सिर्फ 10 दिन ही पेराई का काम कर पा रही हैं। पिछले साल के मुकाबले इन मिलों के उत्पादन व कारोबार में 35 फीसदी तक की गिरावट हो चुकी है। हालत ऐसी ही रही तो जनवरी महीना सोयाबीन मिल के लिए और भी बदतर साबित हो सकता है। सोयाबीन प्रोसेसर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया (सोपा) के मुताबिक सोयाबीन तेल व केक उत्पादन इन दिनों चौतरफा मार झेल रहे हैं।किसान चालू कीमत पर सोयाबीन की बिक्री करना नहीं चाह रहे हैं। वहीं पाम व सोयाबीन तेल की कीमत में प्रति किलोग्राम 15-16 रुपये के अंतर के कारण सोयाबीन तेल की घरेलू मांग नहीं निकल पा रही है। सोयाबीन तेल की कीमत फिलहाल 465 रुपये प्रति 10 किलोग्राम (इंदौर में) है तो कच्चे पाम तेल की कीमत 23-24 रुपये प्रति किलोग्राम (कांडला पोर्ट पर)। कच्चे पाम तेल पर कोई आयात शुल्क नहीं है। सोपा के सचिव गिरीश मतलानी कहते हैं, 'कीमत में इतने बड़े अंतर से मांग में फर्क पड़ना लाजिमी है। मिलों में ऐसा माहौल तो 'ऑफ सीजन' में होता है। सरकार को जल्द से जल्द कच्चे पाम तेल पर कच्चे सोयाबीन तेल की तरह कम से कम 20 फीसदी का शुल्क लगाना चाहिए।' ऊंची कीमत की आस में सोयाबीन किसानों ने आवक काफी कम कर दी है। सोयाबीन तेल व सोया केक के उत्पादन मनीष गुप्ता ने इंदौर से बिजनेस स्टैंडर्ड को बताया, 'आवक में कमी से तो यही लगता है कि सोयाबीन के उत्पादन में पिछले साल के मुकाबले कोई बढ़ोतरी नहीं है तभी किसानों को अधिक कीमत मिलने की उम्मीद है। पिछले साल किसानों को 2600 रुपये प्रति क्विंटल की कीमत मिल रही थी जबकि इस साल 1700-1800 रुपये प्रति क्विंटल के बीच है। ऐसे में किसान भाव बढ़ने का इंतजार कर रहे हैं।' पिछले साल के मुकाबले इस साल सोयाबीन उत्पादन में लगभग 9 फीसदी की बढ़ोतरी का अनुमान लगाया गया था। इंदौर स्थित बजरंग एग्रो इंडस्ट्रीज के निदेशक सुभाष गोयल दुखी स्वर में कहते हैं, 'महीने में सिर्फ 10 दिन ही मिल चल रही है। इस बार तो सिर्फ नुकसान ही नुकसान है।' अंतरराष्ट्रीय बाजार में सोयाबीन केक की मांग में 30 फीसदी की गिरावट के कारण भी इन उत्पादकों का कारोबार प्रभावित हुआ है। अक्टूबर से दिसंबर तक 24 घंटे पेराई करने वाली सोयाबीन मिलें ठपकच्चे माल की कमी के साथ सोया तेल व सोया केक की मांग में आयी गिरावट ने किया बंटाधार (BS Hindi)

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