कुल पेज दृश्य

26 दिसंबर 2008

और प्यारी और न्यारी हो जाएंगी तरकारियां

थोक कारोबारियों का कहना है कि जनवरी में टमाटर, आलू, प्याज व पालक, कद्दू और फूल गोभी जैसी हरी सब्जियों की कीमतों में 20 से 25 फीसदी की कमी आ सकती है।
नई दिल्ली December 25, 2008
सब्जी बाजार के लिए गुजरा हुआ साल जहां कीमतों के भारी उतार-चढ़ावों से भरा हुआ रहा, वहीं नया साल कीमतों में गिरावट की संभावना के चलते नई उम्मीदें लेकर आ रहा है।
आजादपुर सब्जी मंडी के थोक कारोबारियों का कहना है कि जनवरी महीने में टमाटर, आलू, प्याज व पालक, कद्दू और फूल गोभी जैसी हरी सब्जियों की कीमतों में 20 से 25 फीसदी की कमी आ सकती है।आजादपुर सब्जी मंडी टोमैटो ऐंड पोटैटो एसोसिएशन के अध्यक्ष राजेन्द्र शर्मा का कहना है यह साल सब्जी के कारोबार के हिसाब से काफी उतार-चढ़ाव वाला था। साल की शुरुआत में आलू, प्याज और टमाटर की कीमतें 400, 450 और 530 रुपये प्रति क्विंटल थी। लेकिन समय से पहले मानसून के आने, बढ़ती मंहगाई दर और लागत के चलते साल के मध्य के इनकी कीमतों में 30 से 40 फीसदी की बढ़ोतरी हो गई थी।ऐसे में इनकी कीमतें 740, 800 और 925 रुपये प्रति क्विंटल हो गई थी। लेकि न दिसंबर में इनकी कीमतों में 40 से 50 फीसदी की कमी आई है। इस समय टमाटर और आलू की कीमतें 650 और 270 रुपये प्रति क्विंटल है। जबकि आपूर्ति अच्छी न होने की वजह से प्याज की कीमतें उसी दर पर स्थिर है। शर्मा बताते है कि शादी के दिनों के गुजर जाने से मांग में कमी आना तय है। मंहगाई दर में भी सुधार आ रहा है। ऐसे में जनवरी-फरवरी तक कीमतों 20 से 25 फीसदी और कमी आएगी। हरी सब्जियों का बाजार भी दूसरी ओर खिलता नजर आ रहा है।आजादपुर मंडी की वेजिटेबल एसोसिएशन के राजीव बताते है कि कद्दू, पालक और सेम की कीमतें अगस्त-सितंबर की तुलना में 30 फीसदी तक गिर गई है। अगले साल तक इनके 15 फीसदी तक और कम होने की उम्मीद है। सेम इस समय जहां 1200-1400 रुपये प्रति क्विंटल की दर पर मिल रहा है, वहीं कद्दू की कीमतें 300-350 रुपये प्रति क्विंटल चल रही है। लौकी, पालक और फूल गोभी जैसी सब्जियों की भी औसत कीमत 350-400 रुपये प्रति क्विंटल है। उधर, अनुकूल मौसम के चलते साल 2008 में भारत में आलू की पैदावार 15.38 फीसदी तक बढ़ सकती है। इसकी कुल पैदावार 30 लाख टन तक बढ़ सकती है जबकि पिछले साल इसमें 26 लाख टन का इजाफा हुआ था। पैदावार में इजाफेकी उम्मीद इस लिहाज से महत्वपूर्ण है क्योंकि संयुक्त राष्ट्र की संस्था खाद्य एवं कृषि संगठन (एफएओ) ने कहा है कि आम लोगों के लिए (खासतौर से अफ्रीका और एशिया के लोगों के लिए) आलू मुख्य खाद्य हो सकता है। आलू की फसल क्षेत्र के लिहाज से भारत का स्थान विश्व में चौथा है जबकि उत्पादन के लिहाज से तीसरा। भारत में पूरी दुनिया की कुल आलू पैदावार का 8 फीसदी पैदा होता है। साल 1960 से 2000 के बीच आलू की पैदावार में करीब 850 फीसदी का इजाफा हुआ है क्योंकि ऊंची आय वाले शहरी आबादी की तरफ से इसकी मांग बढ़ी है। 1990 के बाद से अब तक प्रति व्यक्ति आलू की खपत सालाना 12 किलोग्राम से 17 किलोग्राम पर पहुंच गई है। (BS HIndi)

कोई टिप्पणी नहीं: