कुल पेज दृश्य

31 जनवरी 2009

नई आवक बढ़ने के बावजूद लाल मिर्च में मजबूती कायम

आंध्रप्रदेश की उत्पादक मंडियों में लाल मिर्च की दैनिक आवक बढ़कर 38 से 40 हजार बोरी (एक बोरी 45 किलो) की हो गई। फिर भी घरेलू मांग अच्छी होने से भाव मजबूत ही बने हुए हैं। चालू फसल सीजन में किसानों द्वारा कॉटन की बुवाई ज्यादा करने से लाल मिर्च के बुवाई क्षेत्रफल में कमी आई है। ऐसे में लालमिर्च की पैदावार पिछले साल के 150 लाख बोरी के मुकाबले 120 से 125 लाख बोरी होने के आसार है। बुवाई से लेकर अभी तक मौसम फसल के अनुकूल रहा है। इसलिए चालू वर्ष में फटकी क्वालिटी की आवक कम और बढ़िया मालों की आवक ज्यादा होगी। फरवरी महीने के दूसरे पखवाड़े में आवक का दबाव बनने के बाद मौजूदा भावों में 400 से 500 रुपये प्रति क्विंटल की गिरावट आ सकती है।गुंटूर मंडी स्थित मैसर्स स्पाइसेज ट्रेडिंग कंपनी के डायरेक्टर विनय बुबना ने बिजनेस भास्कर को बताया कि गुंटूर में लाल मिर्च का पुराना स्टॉक मात्र सात से आठ लाख बोरियों का ही बचा हुआ है तथा इसमें भी बढ़िया माल कम हैं। नई फसल की आवक मात्र 38 से 40 हजार बोरी की हो रही है जबकि घरेलू मांग अच्छी है। इसलिए भाव मजबूत ही बने हुए हैं। गुंटूर मंडी में नई लालमिर्च की आवक 25 हजार बोरी, खम्माम में आठ से दस हजार और वारंगल में चार से पांच हजार बोरी की हो रही है। उन्होंने बताया कि आवक का दबाव बनने के बाद फरवरी के मध्य में 500 से 700 रुपये प्रति क्विंटल की गिरावट आ सकती है। मार्च में स्टॉकिस्टों के साथ ही होली की मांग शुरू हो जाती है इसलिए भावों में ज्यादा मंदे की उम्मीद नहीं है।गुंटूर मंडी में तेजा क्वालिटी के भाव 4800-5500 रुपये, 334 के भाव 4800-5200 रुपये, सनम के 5000-5500 रुपये, 273 क्वालिटी के 4500-5500 रुपये, ब्याडगी क्वालिटी के 5000-6300 रुपये व पांच नं0 के 4800-5700 रुपये तथा फटकी क्वालिटी के भाव 1800 से 2500 रुपये प्रति क्विंटल पर मजबूत बने हुए हैं।इंदौर के लालमिर्च व्यापारी खजोरमल प्रजापति ने बताया कि राज्य की मंडियों में लालमिर्च की साप्ताहिक आवक घटकर 45 से 50 हजार बोरी की रह गई है। जबकि बढ़िया मालों की आवक कम हो रही है। मध्य प्रदेश की मंडियों में भाव 4000 से 5200 रुपये प्रति क्विंटल क्वालिटीनुसार चल रहे हैं।मुंबई स्थित लालमिर्च के निर्यातक अशोक दत्तानी ने बताया कि मलेशिया, श्रीलंका, थाईलैंड व इंडोनेशिया के आयातक नई फसल को देखते हुए नए सौदे कम रहे हैं। चालू फसल सीजन में अनुकूल मौसम से बढ़िया माल की आवक ज्यादा होगी इसलिए आगामी महीनों में देश से निर्यात मांग में बढ़ोतरी की संभावना है। चालू वित्त वर्ष के अप्रैल से दिसंबर तक भारत से लालमिर्च का निर्यात 141,000 टन का ही हुआ है जोकि बीते वर्ष की समान अवधि के 149,755 टन से कम है। (Business Bhaskar.....R S Rana)

कोई टिप्पणी नहीं: