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21 फ़रवरी 2009

मक्का की निर्यात मांग कमजोर

चालू फसल सीजन में देश में मक्का की पैदावार में कमी आई है। निर्यात मांग में भी भारी गिरावट देखी जा रही है। इस वजह से भाव में मंदी बनी हुई है। देश के कई राज्यों में इस समय खरीफ सीजन की मक्का की आवक चल रही है। आंध्र प्रदेश में रबी की नई फसल की भी छुटपुट आवक शुरू हो गई है। अप्रैल में बिहार में नई फसल आ जाएगी। इसके साथ ही आंध्र में भी आवक का दबाव बन जाएगा। ऐसे में जब तक निर्यात मांग में बढ़ोतरी नहीं होगी, तब तक मक्का में तेजी के आसार कम ही हैं। घरेलू बाजारों में गिरावट आने से वायदा बाजार में मक्का के भावों में मंदे का रुख नजर आ रहा है।पैदावार का हाल केंद्र सरकार के अनुमान के मुताबिक देश में खरीफ सीजन में मक्का की पैदावार घटकर 134 लाख टन होने की उम्मीद है। ये पिछले साल के मुकाबले लगभग 17 लाख टन कम है। पिछले वर्ष खरीफ सीजन में मक्का की पैदावार 151 लाख टन हुई थी। इसी तरह रबी सीजन की आने वाली नई फसल की पैदावार भी पिछले साल के 38 लाख टन से घटकर 36 लाख टन रहने की उम्मीद है। उत्पादक राज्यों में आवकमक्का व्यापारी पूनम चंद गुप्ता ने बताया कि प्रमुख उत्पादक राज्यों कर्नाटक, महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश और राजस्थान की मंडियों में इस समय मक्का की दैनिक आवक करीब 80 से 90 हजार बोरी की है। उत्पादक मंडियों में मक्का के भाव 810 से 825 रुपए प्रति क्विंटल चल रहे हैं। आंध्र में खरीफ मक्का की आवक लगभग समाप्त हो गई है, लेकिन एकाध मंडी में रबी मक्का की छुटपुट आवक शुरू हो गई है। नई फसल में नमी की मात्रा होने के कारण इसके भाव 790 से 800 रुपए प्रति क्विंटल चल रहे हैं। मार्च में आंध्र की लगभग सभी उत्पादक मंडियों में आवक का दबाव बनने की उम्मीद है। जबकि बिहार में रबी सीजन की मक्का की आवक अप्रैल महीने में बनेगी। रबी में मक्का का उत्पादन मुख्य तौर पर बिहार और आंध्र में ही होता है। भाव में गिरावट को देखते हुए स्टार्च और पोल्ट्री फीड निर्माता भी जरूरत के हिसाब से ही खरीद कर रहे हैं। पिछले वर्ष मक्का की पैदावार में बढ़ोतरी के बावजूद उत्पादक मंडियों में मक्का के भाव 980 से 1000 रुपए प्रति क्विंटल हो गए थे। चूंकि पिछले वर्ष देश से मक्का का रिकार्ड निर्यात हुआ था। लेकिन चालू वर्ष में इसके निर्यात में आई भारी गिरावट की वजह से पैदावार में कमी आने के बाद भी उत्पादक मंडियों में मक्का के भाव न्यूनतम समर्थन मूल्य से नीचे ही रहे हैं। रबी की आने वाली फसल को देखते हुए मक्का के भावों में तेजी के आसार तो नहीं है लेकिन भाव पहले ही नीचे होने के कारण रबी की आवक बनने के बाद मौजूदा भावों में भारी गिरावट की संभावना भी नहीं है।निर्यात का हाल मक्का निर्यातक दलीप काबरा ने बताया कि पिछले फसल सीजन में देश से मक्का का निर्यात करीब 30 लाख टन का हुआ था। चालू सीजन में इसका निर्यात घटकर अभी तक मात्र 65 से 70 हजार टन का ही हो पाया है। घरेलू बाजारों में भाव ऊंचे होने और अंतरराष्ट्रीय बाजार में दाम कम होने के कारण निर्यात मांग में भारी कमी आई है। इससे पूरे खरीफ सीजन में उत्पादक मंडियों में मक्का के दाम न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) 840 रुपए प्रति क्विंटल से नीचे ही बने रहे।वायदा बाजार में गिरावटमल्टी कमोडिटी एंड डेरिवेटिव्स एक्सचेंज लिमिटेड (एनसीडीईएक्स) में मक्का के मार्च महीने के वायदे में शुक्रवार को करीब 10 रुपए की गिरावट आकर 825 रुपए प्रति क्विंटल हो गए। मार्च महीने में वायदा बाजार में करीब 3370 लॉट के सौदे खड़े हुए हैं। दिल्ली के मक्का व्यापारी राजेश अग्रवाल ने बताया कि दिल्ली में इन दिनों में मक्का की दैनिक आवक राजस्थान से 10-12 मोटर की हो रही है। पंजाब और हरियाणा के पोल्ट्री फीड निर्माताओं की मांग कमजोर होने से यहां इसके भाव 940 से 945 रुपए प्रति क्विंटल चल रहे हैं। पिछले आठ-दस दिनों में यहां इसके भावों में करीब 10 से 15 रुपए प्रति क्विंटल की गिरावट आ चुकी है। उन्होंने बताया कि इस समय दक्षिण भारत से दिल्ली के लिए पड़ते नहीं लग रहे हैं। (Business Bhaskar...R S Rana)

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