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23 फ़रवरी 2009

चांदी के कारोबारी कर रहे हैं बिकवालों को निराश

मुंबई February 22, 2009
सर्राफा बाजार में इस समय खुदरा ग्राहकों की ओर से बेचने के लिए भारी मात्रा में चांदी आ रही है। भारी आवक को देखते हुए कारोबारी, बिकवालों को हतोत्साहित करने के लिए बाजार भाव से 1,500 रुपये प्रति किलो कम दर पर खरीद कर रहे हैं।
पिछले 2 महीनों में चांदी की कीमतों में 25 प्रतिशत से ज्यादा उछाल आया है। इसकी वजह से बड़े और छोटे स्तर के निवेशकों ने बिक्री के लिए लाइन लगा रखी है। वे आभूषण बनाने की कम दर होने की वजह से नए माल से अदला बदली भी कर रहे हैं।
यह धातु इसलिए और भी महत्वपूर्ण हो जाती है, क्योंकि जेवर के रूप में इसे पहनने के लिए महिलाएं करीब हर घर में इसका इस्तेमाल करती हैं। अगर यह प्रवृत्ति जारी रही, तो भारत के बाजार में इसकी कीमतें गिर सकती हैं, भले ही वैश्विक बाजार में कीमतें बहुत ज्यादा हों।
बांबे बुलियन एसोसिएशन के अध्यक्ष और हुंडिया एक्सपोर्ट के निदेशक सुरेश हुंडिया ने कहा, 'आयात में आई गिरावट के साथ नई बिक्री न के बराबर है। इसकी वजह से कारोबारियों ने स्क्रैप चांदी की खरीद 15,00 रुपये प्रति किलो कम कीमत पर खरीदना शुरू किया है। खरीदार कीमतों में कमी का इंतजार कर रहे हैं और वे इस समय खरीदारी से बच रहे हैं।'
शादी विवाह के मौसम में भी लोग खरीदारी से बच रहे हैं। इसकी वजह से भारत का आयात नाटकीय रूप से गिर गया है। भारत में अनुमानित रूप से प्रतिदिन 1000 किलोग्राम स्क्रैप चांदी आ रही है, जबकि कुल खपत 3,000 टन है।
बीबीए के निदेशक और एक बड़े कारोबारी हरेश केवलरमानी ने इस बात की पुष्टि करते हुए कहा कि चांदी के बिक्रेताओं को हतोत्साहित करने की कोशिश की जा रही है। उन्होंने कहा कि ज्यादातर कारोबारी पुरानी चांदी को 8,00 से 1,000 रुपये प्रति किलोग्राम कम दर पर खरीद कर रहे हैं।
वैश्विक आर्थिक संकट के बाद भारत में चांदी की कीमतों में 25 प्रतिशत का उछाल दर्ज किया गया है। अंतरराष्ट्रीय बाजार की कीमतों से तालमेल बिठाते हुए यह 23,090 प्रति किलोग्राम पर पहुंच गई। चांदी के लिए मांग को देखें तो यह तीन क्षेत्रों से आती है।
पहला- औद्योगिक इस्तेमाल, दूसरा- आभूषण निर्माण और तीसरा- फोटोग्राफी। ये तीनों उद्योग कुल खपत का 95 प्रतिशत उपभोग करते हैं। विनिर्माण क्षेत्र में चांदी की जबरदस्त मांग है। इसमें कलात्मक खूबसूरती होती है, जिसकी वजह से इस धातु की कीमत बढ़ जाती है।
केवलरमानी का कहना है कि आपूर्ति के आधिक्य की वजह से इसको संभालने में कठिनाई आ रही है। व्यक्तिगत रूप से इस्तेमाल करने वाले भी जमकर बिकवाली कर रहे हैं और अधिक कीमतें होने की वजह से वे इसे कैश करा रहे हैं। (BS Hindi)

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