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23 मार्च 2009

सऊदी अरब की निर्यात मांग से बासमती में तेजी

नई दिल्ली. कई महीनों बाद सऊदी अरब से बासमती चावल की मांग निकलने के कारण घरेलू बाजार में इसके भाव में जोरदार तेजी आ गई है। सूत्रों के अनुसार हाल में सऊदी अरब को 12,500 टन बासमती चावल करने के सौदे हुए हैं। इससे बासमती चावल के दाम पिछले दस दिनों के दौरान 400 रुपये प्रति क्विंटल तक बढ़ चुके हैं।दिल्ली ग्रेन मर्च्ेट एसोसिएशन के सचिव सुरेन्द्र कुमार गर्ग ने बिजनेस भास्कर को बताया कि सऊदी अरब को बासमती चावल के निर्यात के सौदे होने से इसकी कीमतों में 400 रुपये प्रति क्विंटल तक की तेजी आई है। दिल्ली के ग्रेन बाजार में इस दौरान बासमती चावल में सेला-1121 के दाम 3600-3800 रुपये प्रति क्विंटल से बढ़कर 3900-4200 रुपये प्रति क्विंटल हो गए हैं। जबकि सामान्य बासमती के भाव 5300-5600 रुपये से बढ़कर 5700-6000 रुपये प्रति क्विंटल हो गया है। दिल्ली व्यापार महासंघ के चेयरमैन ओमप्रकाश जैन ने बताया कि बासमती चावल की कीमतों में यह तेजी सऊदी अरब को 12500 टन के निर्यात सौदे होने की वजह से आई थी। कारोबारियों के मुताबिक आने वाले दिनों में इसकी कीमतों में फिर से गिरावट आने लगेगी। जैन का कहना है कि निर्यात सौदे के लिए बासमती चावल की खरीदारी करीब-करीब हो चुकी है। लिहाजा आने वाले दिनों में इसकी मूल्यों में गिरावट आ सकती है।गर्ग का कहना है कि बासमती चावल का न्यूनतम निर्यात मूल्य (एमईपी ) अधिक होने की वजह से देश से निर्यात के सौदे बहुत कम हो पा रहे हैं। विदेशो में भारतीय बासमती के बाजार को पाकिस्तान के बासमती ने हथिया लिया है। जिससे भारतीय बासमती चावल के निर्यात में गिरावट आई है। सरकारी आंकडों के मुताबिक वित्त वर्ष 2007-08 में अप्रैल से जनवरी के दौरान बासमती 8.68 लाख टन का निर्यात हुआ था जो समान अवधि में वित्त वर्ष 2008-09 में घटकर 7.88 लाख टन रह गय है।उनका कहना है कि सरकार जब तक निर्यात मूल्य में और कटौती नहीं करती है तब तक निर्यात मांग सुधरने के आसार नहीं हैं। मालूम हो कि पिछले साल बासमती चावल की निर्यात मांग काफी होने की वजह से देश में इसके मूल्य में भारी तेजी आई थी। ऐसे में सरकार ने इसके भाव को नियंत्रित करने के लिए 8000 रुपये प्रति टन का निर्यात शुल्क लगा दिया था जिसको बाद में हटा लिया गया है साथ ही न्यूनतम निर्यात मूल्य में 100 डॉलर की कटौती करके 1100 डॉलर टन प्रति टन कर दिया गया है। लेकिन कारोबारी इसमें और कटौती की मांग कर रहे हैं। (Business Bhaskar)

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