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21 अप्रैल 2009

जून तक कड़वी ही लगेगी चीनी

नई दिल्ली [जागरण ब्यूरो]। उपभोक्ताओं को जून तक चीनी का स्वाद कड़वा ही लगेगा, क्योंकि कीमतें कम होने वाली नहीं हैं। सरकार के 'सख्त कदम' बेअसर साबित हो रहे हैं। जिंस बाजार पर काबू पाना केंद्र के लिए आसान नहीं है और राज्य सरकारों की इसमें कोई रुचि नहीं है।
हालांकि केंद्र सरकार चीनी के वायदा कारोबार पर पाबंदी लगाने के विकल्प पर विचार जरूर कर रही है। लेकिन अंतिम फैसला लोकसभा चुनाव के बाद आने वाली नई सरकार ही करेगी।
खाद्य मंत्रालय के संयुक्त सचिव एन. सान्याल ने सोमवार को यहां कहा कि जून के बाद चीनी की मांग में तब कमी आएगी, जब लोग चीनी का उपभोग थोड़ा कम करेंगे। चीनी मूल्य में तेजी की वजह पूछने पर सान्याल ने स्पष्ट रूप से कहा कि यह मुनाफा वसूली है। कीमतों पर काबू पाने के सरकारी प्रयासों के बारे में उन्होंने कहा कि रा शुगर आयात की जा रही है, जो बाजार में मई के आखिर तक आ जाएगी। सान्याल ने यह भी माना कि देश में बहुत कम मिलों के पास रा शुगर को रिफाइन करने की क्षमता है। स्टाक सीमा निर्धारण और आवश्यक वस्तु अधिनियम लागू करने का भी दावा किया, लेकिन यह स्वीकार किया कि इसे बहुत कम राज्यों ने लागू किया है।
वायदा कारोबार पर पाबंदी लगाने के सवाल पर उन्होंने माना कि वहां सटोरियों का बोलबाला है, जिस पर रोक लगाई जा सकती है। लेकिन इस बारे में अंतिम फैसला तो सरकार को ही लेना होगा। अप्रैल के दूसरे सप्ताह में वायदा बाजार में चीनी का कारोबार जहां 50 से 60 हजार टन होता था, वह अचानक बढ़कर दोगुना हो गया। सरकार के आंकड़ों को मानें तो राजधानी दिल्ली में चीनी 28 रुपये प्रति किलोग्राम, मुंबई में 25 और कोलकाता में 23 रुपये प्रति किलोग्राम बिक रही है। इसमें फिलहाल कमी होने की संभावना नहीं है।
दरअसल, खाद्य मंत्रालय ने कीमतों पर काबू पाने के लिए जो उपाय किए हैं, वह नाकाफी साबित होंगे। बकौल, सान्याल, उत्तर भारत में कीमतें घटने वाली नहीं हैं। क्योंकि 16 रुपये प्रति किलो वाले गन्ने से जो चीनी बनेगी, उसमें 4 से 5 रुपये प्रति किलो उत्पादन लागत और तीन रुपये टैक्स जोड़ दिया जाए तो इसके दाम 24 रुपये प्रति किलो हो जाते हैं। उत्तर भारत में वैसे भी चीनी के मूल्य में गिरावट की उम्मीद बहुत कम है। यहां के लोग मोटे दाने की चीनी खाते हैं, जिसकी लागत अधिक बैठती है। ये सभी तर्क खाद्य मंत्रालय के उसी अफसर के हैं, जिन पर कीमतों पर नियंत्रण पाने का दायित्व है। (Dainik Jagran)

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