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24 अप्रैल 2009

अंतरराष्ट्रीय बाजार में सोया, पामोलीन ऑयल की कीमतें बढ़ीं

नई दिल्ली- वैश्विक बाजार में सोया और पामोलीन ऑयल की कीमतों में तेजी से बढ़ोतरी के कारण सबसे स्वास्थ्यवर्धक खाद्य तेल माना जाने वाला सूरजमुखी का तेल इनके ऊपर अपना प्रीमियम खोता जा रहा है। भारत से मांग में इजाफे की वजह से पामोलीन और सोया ऑयल की कीमतें सूरजमुखी ऑयल की कीमतों के लगभग बराबर आ चुकी हैं। मांग बढ़ने के कारण सोया और पामोलीन ऑयल के वैश्विक भंडार में कमी आई है और तीनों की कीमतों में बढ़ोतरी हुई है। हालांकि अभी उपभोक्ताओं के ऊपर इन कीमतों का असर कम ही है, लेकिन इसका असर मई व खाद्य तेलों की मांग बढ़ने के सीजन में देखने को मिल सकता है। अमेरिका, चीन और ब्राजील के बाद भारत खाद्य तेलों के मामले में चौथी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था है। दुनिया भर के वेजिटेबल ऑयल आयात और उपभोग में भारत की हिस्सेदारी 10 फीसदी है, जबकि कुल ऑयल सीड उत्पादन में यह 7.4 फीसदी ही है। वेजिटेबल ऑयल मार्केट में पाम और सोया ऑयल का दबदबा है। उद्योग पर नजर रखने वाले विशेषज्ञों का कहना है कि वैश्विक बाजार में कीमतों के बढ़ने के कारण देश में खपत होने वाले तीनों खाद्य तेलों की खुदरा कीमतों पर असर फिलहाल बेहद कम रहेगा। सेंट्रल ऑर्गनाइजेशन फॉर ऑयल इंडस्ट्री एंड टेड (सीओओआईटी) के एक अधिकारी का कहना है, 'किसी भी बिंदु पर उपभोक्ता कीमतों का फंक्शन थोक कीमतों से अंतर प्रदर्शित करता है और यह काफी हद तक घरेलू मांग पर निर्भर करता है। खुदरा कीमतें पहले से ही घरेलू मांग के अनुसार हैं। इसके अलावा मई डिलीवरी के कॉन्ट्रैक्ट की कीमतों में बढ़ोतरी और उसका असर घरेलू बाजार पर पड़ने के बीच में भी समय का अंतर है।' इस बात से निश्चित रूप से चुनावों के समय सरकार को फायदा मिलेगा। हालांकि मई के अंत में जब नई सरकार आने वाली होगी, उस समय कीमतों में बढ़ोतरी हो सकती है। इस साल भारत में स्टॉक पिछले साल के मुकाबले ज्यादा रह सकता है। अनुमानत: यह 7.5 लाख टन रह सकता है। पिछले साल के मुकाबले यह 1.5 लाख टन ज्यादा है। इसमें मई-अगस्त के बीच होने वाले आयात कॉन्ट्रैक्ट भी शामिल हैं। हालांकि इस बात का भी अनुमान लगाया जा रहा है कि फरवरी में आयात काफी ज्यादा होने के कारण अप्रैल में आयात में कमी आ सकती है। आमतौर पर मई-अगस्त की अवधि ऐसी जब होती है जब घरेलू मांग सबसे ज्यादा होती है। सीओओआईटी के अधिकारियों का कहना है, 'सभी कच्चे खाद्य तेलों पर शून्य आयात शुल्क का लाभ उठाने के लिए ट्रेडर्स खाद्य तेलों के आयात पर जोर दे रहे हैं और स्टॉक बना रहे हैं। यह बात इसलिए भी महत्वपूर्ण है क्योंकि इस बात का अनुमान लगाया जा रहा है कि नई सरकार आने के बाद खाद्य तेलों के आयात पर फिर से शुल्क लगाया जा सकता है।' (ET Hindi)

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