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25 अप्रैल 2009

बंगाल में आम के लिए तरसेंगे आम

कोलकाता 04 24, 2009
पश्चिम बंगाल में आम के उत्पादन में इस साल जोरदार गिरावट के अनुमान लगाए जा रहे हैं। इसकी प्रमुख वजह है कि फरवरी माह में मौसम अनुकूल नहीं रहा और करीब 70 प्रतिशत आम के बौर खराब हो गए।
ऐसी स्थिति सभी आम उत्पादक जिलों, जैसे मालदा और मुर्शिदाबाद में रही। पिछले साल पश्चिम बंगाल में 6,23,000 टन आम का उत्पादन हुआ था। कुल उत्पादन में मालदा और मुर्शिदाबाद जिलों का योगदान 50 प्रतिशत से ज्यादा होता है।
पश्चिम बंगाल के बागवानी विभाग के निदेशक पीयूष कांति प्रमाणिक ने पुष्टि की कि इस साल स्थिति यह है कि मालदा में आम के पेड़ों पर केवल 30 प्रतिशत बौर आई है और मुर्शिदाबाद में भी स्थिति कुछ अलग नहीं है।
गौरतलब है कि इस साल बेहतर उत्पादन की उम्मीद की जा रही थी, क्योंकि यह साल फलों के फसल का साल था। पिछले साल राज्य में आम के उत्पादन में 30 प्रतिशत की कमी आई थी। पश्चिम बंगाल के नादिया जिले के किसान तरुण घोष ने कहा कि नादिया में इस साल 50 प्रतिशत कम बौर आए हैं।
उनका मानना है कि मई जून महीने में आम की कीमतों में बहुत ज्यादा बढ़ोतरी होगी, जब फसल तैयार होती है। आम के उत्पादन में तेज गिरावट के बावजूद राज्य सरकार के अधिकारियों को उम्मीद है कि वे अमेरिका और यूरोपीय देशों के फलों के बाजार में अपनी पैठ बनाए रखने में सफल होंगे।
राज्य की सबसे प्रसिध्द आम की किस्म लंगड़ा और लक्ष्मणभोग है, जिसका उत्पादन मालदा और मुर्शिदाबाद में होता है। इसके अलावा राज्य में फाली, आश्विना, हिमसागर और खिरसापट्टी किस्में भी होती हैं। पिछले साल पश्चिम बंगाल सरकार ने मालदा से अमेरिका को आम भेजना शुरू किया था।
प्रमाणिक ने कहा कि इस साल की शुरुआत में निर्यातकों, उत्पादकों और एग्रीकल्चरल ऐंड प्रॉसेस्ड फूड प्रोडक्ट एक्सपोर्ट डेवलपमेंट अथॉरिटी (एपीईडीए) की संयुक्त बैठक हुई थी। इसमें निर्यातकों ने पश्चिम बंगाल से दक्षिण पूर्वी एशियाई देशों जैसे सिंगापुर, मलेशिया और फिलीपींस में आम भेजने में रुचि दिखाई थी।
बहरहाल, पश्चिम बंगाल के आम की तीन किस्में- लक्ष्मणभोग, कृषापट्टी और फजली का नामांकन भारत सरकार के विज्ञान और तकनीकी मंत्रालय में हुआ है, जिससे इसे भौगोलिक पहचान मिल सके। इससे पश्चिम बंगाल के खास आम के रूप में इन किस्मों को पहचान भी मिलेगी।
इसके अलावा बंगाल के आमों की अन्य किस्मों में हिमसागर को राज्य सरकार प्रोत्साहित कर रही है, जिसकी उत्तर भारत के बाजारों में बहुत मांग है।
मौसम खराब होने की वजह से 70 प्रतिशत बौर खराब हुए मालदा और मुर्शिदाबाद आम उत्पादन के प्रमुख केंद्रपिछले साल हुआ 6,23,000 टन आम का उत्पादन (BS Hindi)

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