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21 अप्रैल 2009

चावल निर्यात पर फैसले के लिए विश्व बाजार को प्रतीक्षा

भारतीय चावल निर्यात नीति पर आयातकों की नजर टिकी हुई है। भारत सरकार ने इसके निर्यात पर प्रतिबंध लगा रखा है। यह प्रतिबंध जून तक हटने की उम्मीद है। भारतीय चावल की निर्यात नीति के इंतजार में आयातकों ने मौजूदा समय में थाईलैंड के चावल की खरीद धीमी रखी है। उनकी मांग काफी कमजोर है। ऐसे में आने वाले दिनों में चावल में नरमी जारी रह सकती है।राइस एक्सपोर्टर्स एसोसिएशन ऑफ थाईलैंड के अध्यक्ष चूकेत ऑफस्वांगसे के मुताबिक इस समय बाजार में लिवाली बेहद कमजोर है। ज्यादातर खरीददारों की नजर भारतीय चावल बाजार पर टिकी हुई है। भारत की ओर से जून से पहले निर्यात नीति में कोई बदलाव होने की संभावना नहीं है। लोकसभा चुनाव की वजह से इस समय चुनाव आचार संहिता लागू है। नई सरकार का गठन मई के अंत तक ही हो सकेगा। लिहाजा चावल निर्यात को लेकर जून तक ही कोई फैसला होने की उम्मीद की जा सकती है। घरलू बाजार में सप्लाई बढ़ाने और बढ़ती कीमतों पर काबू के लिए केंद्र सरकार ने साल 2008 में चावल निर्यात पर प्रतिबंध लगा दिया था। चूकेत के मुताबिक थाई चावल के कारोबार पर घरलू कारकों का भी असर देखा जा रहा है। इस साल की दूसरी तिमाही के दौरान स्टॉक की स्थिति से कारोबार प्रभावित हो रहा है। इस दौरान तीसरी तिमाही के लिए आयात सौदे शुरू हो जाएंगे। पिछले सप्ताह छुट्टियों की वजह से चावल में कोई कारोबार नहीं हो सका है। इससे कीमतों में आई गिरावट होने के कारण थाईलैंड के किसानों ने सरकार से समर्थन मूल्य पर चावल खरीद शुरू करने की मांग की है। सरकार इस साल किसानों से करीब बीस लाख टन चावल की खरीद कर सकती है। फिलहाल थाईलैंड के बाजरों में ग्रेड बी व्हाइट राइस का एफओबी भाव करीब 550-560 डॉलर प्रति टन है जो पिछले सप्ताह के बराबर है। (Busienss Bhaskar)

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