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21 मई 2009

वैश्विक चाय उत्पादन में 445 लाख किलो कमी!

कोलकाता May 20, 2009
मार्च तक पूरी दुनिया में चाय के उत्पादन में 445 लाख किलोग्राम की कमी का अनुमान है। ये आंकड़े इंडियन टी एसोसिएशन (आईटीए) ने जारी किए हैं।
चाय के उत्पादन के लिहाज से श्रीलंका सबसे ज्यादा प्रभावित हुआ है, जहां 41 प्रतिशत की गिरावट दर्ज की गई है। बांग्लादेश में 34 प्रतिशत की गिरावट दर्ज की गई है। इसके साथ ही भारत में भी उत्पादन में 9 प्रतिशत की गिरावट दर्ज की गई है, जिसमें दक्षिण भारत की अहम भूमिका है।
चाय के बड़े उत्पादक देशों- भारत, बांग्लादेश, केन्या, इंडोनेशिया, मलावी, श्रीलंका, तंजानिया, जिंबाब्वे में कुल उत्पादन जनवरी से मार्च के दौरान 2546 लाख किलोग्राम रहेगा, जबकि पिछले साल की समान अवधि में उत्पादन 2990 लाख किलोग्राम रहा था।
घरेलू चाय उद्योग के प्रतिनिधियों का कहना है कि अप्रैल में भारत में चाय की फसल के उत्पादन में 150-180 लाख किलोग्राम की कमी आई। मार्च तक कुल गिरावट 81 लाख किलोग्राम की थी। इस तरह से देश में चालू अनुमानित घाटा 250 लाख किलोग्राम रहने का अनुमान है। यह भारत के कुल उत्पादन में 5 प्रतिशत की गिरावट होगी।
आईटीए के चेयरमैन आदित्य खेतान ने कहा कि बाजार में उत्साह बना रहेगौ। उद्योग जगत के सूत्रों का यह भी कहना है कि मार्च-जून गुणवत्ता वाला होता है और इस महीने में कीमतें उच्च स्तर पर होती हैं।
टी एसोसिएशन आफ इंडिया ने आज कहा कि डूरा और तेरासी के बड़े इलाके सूखे से प्रभावित रहे। टीएआई के अध्यक्ष शशांक प्रसाद ने कहा कि अप्रैल के अंत तक फसलों को बहुत नुकसान हुआ है, जो उत्तरी बंगाल के इलाकों में सबसे ज्यादा है। मई महीने में बारिश बहुत कम हुई है। इसलिए इस महीने में भी उत्पादन में गिरावट की उम्मीद है।
जनवरी-मार्च के दौरान चाय की औसत बोली मूल्य 81.89 रुपये प्रति किलो रही, जो पिछले साल की समान अवधि के 64.92 रुपये प्रति किलो से 16.98 प्रतिशत ज्यादा है। उद्योग जगत के विशेषज्ञों का कहना है कि अक्टूबर-दिसंबर तक गिरावट में कमी के पूरा होने के आसार हैं। 2008 में उत्पादन बढ़कर 9600 लाख किलो हो गया था।
चाय के उत्पादन में वैश्विक कमी की वजह से खुदरा कीमतों में बढ़ोतरी हुई है। ब्रिटेन में कीमतों में 15 प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई है। भारत में 1 मई से कीमतों में 20-40 रुपये प्रति किलो की बढ़ोतरी हो गई है और अगले महीने और बढ़ोतरी की उम्मीद है। उद्योग जगत के एक प्रतिनिधि का कहना है कि यह बढ़ोतरी पिछले एक दशक में सबसे ज्यादा है। (BS Hindi)

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