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22 मई 2009

कच्ची चीनी के लिए 20 लाख टन का कॉन्ट्रैक्ट

नई दिल्ली- चीनी मिलों ने फरवरी के बाद से अब तक 20 लाख टन कच्ची चीनी के लिए कॉन्ट्रैक्ट किया है, जबकि सार्वजनिक क्षेत्र की ट्रेडिंग फर्में एसटीसी, एमएमटीसी और पीईसी 56,000 टन कच्ची चीनी के लिए पहले ही कॉन्ट्रैक्ट कर चुकी हैं। यह जानकारी एक वरिष्ठ अधिकारी ने दी। उन्होंने बताया कि इसमें से 13 लाख टन कच्ची चीनी जून के आखिर तक मिल जाएगी। उन्होंने कहा कि अच्छी खासी तादाद में कच्ची चीनी पहले ही पहुंच चुकी है या बंदरगाह में उसे छुड़ाने की प्रक्रिया चल रही है। देश में चीनी की उपलब्धता बनाए रखने के एहतियाती कदमों के तहत सरकार ने फरवरी में चीनी मिलों को एडवांस लाइसेंस स्कीम (एएलएस) के तहत ड्यूटी फ्री (शुल्क मुक्त) कच्ची चीनी आयात करने और रिफाइंड चीनी को बाजार में बेचने की अनुमति दी थी। एएलएस के तहत चीनी मिलों को बाद में उसी मात्रा में कच्ची चीनी का निर्यात करना होता है। अप्रैल में सरकार ने ओपन जनरल लाइसेंस के तहत चीनी मिलों को 1 अगस्त 2009 तक ड्यूटी फ्री कच्ची चीनी आयात करने की अनुमति दे दी। ओपन जनरल लाइसेंस के तहत चीनी मिलों को उसी मात्रा में कच्ची चीनी के निर्यात की बाध्यता नहीं थी। इसके अलावा सार्वजनिक क्षेत्र की ट्रेडिंग फर्मों एसटीसी, एमएमटीसी और पीईसी से भी 1 अगस्त तक 10 लाख टन ड्यूटी फ्री चीनी आयात करने और इसे खुले बाजार में बेचने के लिए कहा गया। हालांकि, ये फर्में इस स्थिति को देखते हुए, जबकि आयात के हालात बहुत अनुकूल नहीं हैं, दो लाख टन से अधिक का आयात नहीं कर सकती हैं। वाणिज्य मंत्रालय ने खाद्य मंत्रालय से कहा है कि शेष बचे 8 लाख टन के आयात के लिए निजी व्यापार की अनुमति दी जाए। जानकारों का कहना है कि सरकार कच्ची और सफेद चीनी के ड्यूटी फ्री आयात सीमा की अवधि को 1 अगस्त से बढ़ा सकती है, क्योंकि रीटेल बाजार में अब भी चीनी के दाम काफी ज्यादा हैं। अधिकारी ने बताया कि घरेलू बाजार में चीनी की कीमतों में काफी हद तक स्थिरता आई है और मौजूदा समय में दिल्ली में यह 26-27 रुपए प्रति किलोग्राम पर बिक रही है। जबकि केंदीय भंडार इसे 25.50 रुपए प्रति किलोग्राम के हिसाब से बेच रहा है। (ET Hindi)

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