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30 जून 2009

इस्मा की मिठास पर सट्टे की खटास

नई दिल्ली June 29, 2009
शिशिर बजाज की कंपनी बजाज हिंदुस्तान ने 5 साल से ज्यादा समय पहले चीनी लॉबी के समूह इंडियन शुगर मिल्स एसोसिएशन (इस्मा) को छोड़ दिया था।
उसके बाद अब कुछ और सदस्य, एसोसिएशन से पल्ला झाड़ सकते हैं। यह स्थिति इस्मा की सहयोगी संस्था इंडियन शुगर इग्जिम कार्पोरेशन (आईएसईसी) द्वारा नैशनल फेडरेशन आफ कोआपरेटिव शुगर फैक्टरीज के साथ मिलकर सट्टा कारोबार करने का मामला सामने आने के बाद पैदा हुई है।
ऐसी जानकारी मिली है कि आईएसईसी को डेरिवेटिव्स उत्पादों के सट्टा कारोबार में 20 करोड़ रुपये का घाटा हुआ है। इसके वर्तमान ओपन पोजिशन में 1000 लाख डॉलर के डेरिवेटिव्स कारोबार में 2 करोड़ रुपये का प्रतिमाह घाटा हो रहा है।
डेरिवेटिव प्रोडक्ट्स का सट्टा कारोबार पिछले 3 साल से हो रहा है और इसकी जानकारी इस्मा को नहीं है। इस्मा समिति को इसकी जानकारी महज एक सप्ताह पहले मिली है। इसे देखते हुए एसोसिएशन में शामिल कंपनियां पूरे संगठनात्मक ढांचे में सुधार के लिए दबाव डाल रही हैं, जिससे उसकी गतिविधियों में पारदर्शिता रहे।
कुछ कंपनियों ने यह इच्छा जता दी कि अगर एसोसिएशन में कुछ गुणात्मक बदलाव नहीं होते हैं तो वे अपनी सदस्यता खत्म कर देंगे। आईएसईसी मसले पर फैसला करने के लिए इस्मा के 5 पूर्व अध्यक्षों और उपाध्यक्षों को बुलाया गया है।
बहरहाल, जानकार सूत्रों ने बताया कि आईएएमए के डायरेक्टर जनरल एसएल जैन, जो आईएसईसी के सदस्य सचिव भी हैं, स्वेच्छा से लंबी छुट्टी पर चले गए हैं, जब तक कि इस मसले का समाधान नहीं निकल जाता है।
बहरहाल जैन ने इस बात से इनकार किया है कि आईएसईसी सट्टा कारोबार में लगा हुआ था। जैन यह भी कहा कि उन्होंने छुट्टी पर जाने का कोई फैसला नहीं किया है। इस मामले से जुड़े सूत्रों ने कहा, 'शनिवार को हुई बैठक में इस्मा समिति की जानकारी में यह मामला आया। (BS Hindi)

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