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29 जून 2009

आने वाले हफ्तों में खाने-पीने की चीजें होंगी महंगी

नई दिल्ली - आने वाले सप्ताह में खाद्य पदार्थों के और महंगा होने का अनुमान है। इसके पीछे पहला कारण है मानसून। इस वजह से ट्रेडिंग में काफी उतार - चढ़ाव हो रहा है , लेकिन कोई नहीं जानता कि यह किस तरफ जा रहा है। दूसरा कारण है रक्षा बंधन , जन्माष्टमी और गणेश चतुर्थी जैसे त्यौहार अगस्त में पड़ रहे हैं। इसके बाद सितंबर में ईद और नवरात्रि आएगी। त्यौहारों का मतलब है कि खाद्य तेल , चावल , चीनी , बेसन , मैदा , सूखे फल , दूध और मसालों की मांग काफी ज्यादा होगी। क्या भारत इनका मुकाबला कर पाएगा ? इन्हीं सब सवालों के कारण इन कमोडिटीज पर दांव लगाए जा रहे हैं और इससे आपके बटुए पर क्या असर पड़ेगा ? आइए इस बात को समझते हैं। खाद्य तेल - त्यौहारी मांग के कारण अगस्त में इसकी कीमतों में कम से कम दो रुपए प्रति किलोग्राम की वृद्धि होगी। एमआरपी में भी इसी अनुपात में बढ़ोतरी होगी। यह आंकड़े तभी मान्य हैं , जब मानसून में आगे सुधार आएगा और सरकार ने आयातित क्रूड पाम ऑयल के ऊपर कस्टम ड्यूटी न लगाई। अगर मानसून गड़बड़ रहा तो सोया और मूंगफली की फसलों को भारी नुकसान होगा और भारत की आयात पर निर्भरता बढ़ जाएगी। चीनी - हम पहले से ही चीनी की कम आपूर्ति की समस्या का सामना कर रहे हैं। हालांकि कीमतों में अभी तेज बढ़ोतरी देखने को नहीं मिल रही है क्योंकि आपने बिजनेस चैनलों पर शुगर इक्विटी स्टॉक पर चर्चा में सुना होगा कि सरकार ने निर्णय लिया है कि आयात से पहले स्थानीय गोदामों को खाली किया जाएगा। भारत में नया पेराई सीजन अक्टूबर से शुरू होता है तो अब आयात में तेजी आएगी , लेकिन अंतरराष्ट्रीय बाजार में कीमतें भारतीय चीनी की कीमतों के मुकाबले काफी ज्यादा हैं। इस कारण आयात बढ़ने के बाद स्थानीय बाजार में भी कीमतों में बढ़ोतरी देखने को मिलेगी। रूल ऑफ थम्ब कहता है कि आपको अंतरराष्ट्रीय कीमतों के अलावा तीन रुपए प्रति किलो के हिसाब से प्रोसेसिंग और परिवहन के रूप में देने होंगे। हो सकता है कि इससे आपको ज्यादा फर्क न पड़े , लेकिन कोला , चॉकलेट , आइसक्रीम , बिस्किट और ब्रेड कंपनियों के बारे में सोचिए। यहां आपको अधिक कीमत चुकानी होगी। मैदा - गेहूं की अधिकता की कारण मैदा की कीमतों में खास असर नहीं पड़ेगा। मैदे के मांग जुलाई में बढ़ती है जब स्कूल टिफिन में एक बार फिर से ब्रेड , नूडल्स और बिस्किट जाने शुरू होते हैं। लेकिन इस बार गेहूं की अधिकता और प्रतिस्पर्धा कीमतों पर नियंत्रण रखेगी। अभी मैदे की कीमत 13 रुपए प्रति किलो है , अगस्त में इसकी कीमत 14.50 रुपए प्रति किलो होने का अनुमान है। (ET Hindi)

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