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24 जून 2009

नियामक एकरूपता से पहले बाजारों को एकरूप बनाने की जरूरत: खटुआ

कमोडिटी वायदा बाजार को सेबी के नियमन के तहत लाने की चर्चाओं के बीच फॉरवर्ड मार्केट्स कमीशन (एफएमसी) के चेयरमैन बी खटुआ ने ईटी नाउ को दिए विशेष साक्षात्कार में कहा है कि मौजूदा परिस्थिति में इस तरह के कदम को लागू करना जल्दबाजी होगी। खटुआ ने कहा, 'नियामक संबंधी एकरूपता लाने के बजाय पहले कमोडिटी फ्यूचर्स और स्पॉट बाजारों को एकरूप बनाने की जरूरत है ताकि इनकी कीमतों को ज्यादा बेहतर तरीके से मालूम किया जा सके।' खटुआ ने कहा कि इस स्थिति पर नियामक एकरूपता की बात करना जल्दबाजी होगी।
उपभोक्ता मामलों का मंत्रालय एकरूपता लाने के मामले में एक आंतरिक समीक्षा कर रहा है और इसके पूरे हो जाने पर मंत्रालय अपनी टिप्पणी प्रधानमंत्री कार्यालय को भेजेगा। एफएमसी उपभोक्ता मामलों के मंत्रालय के तहत आता है। पिछले साल रघुराम राजन कमेटी की वित्तीय सेक्टर सुधार पर आई रिपोर्ट के बाद मंत्रालय ने योजना आयोग को एक रिपोर्ट भेजी थी। राजन रिपोर्ट में एफएमसी के कामकाज का सेबी के कामकाज के साथ एकीकरण का मामला भी था। साल 2005 में सरकार ने एफएमसी को कमोडिटी बाजार के नियमन का दायित्व छोड़ने के लिए तीन साल का वक्त दिया था। सरकार ने कहा था कि एफएमसी इस दौरान देखे कि वायदा बाजार किस तरह से विकसित हो रहा है। इसके अलावा सरकार ने फॉरवर्ड कॉन्ट्रैक्ट रेगुलेशन एक्ट, 1952 में सुधार कर एफएमसी को स्वायत्त दर्जा देने का भी फैसला किया था। सरकार के इस फैसले से एफएमसी को ऑप्शंस और स्वाप जैसे नए साधन उतारने और बैंकों, म्यूचुअल फंडों तथा एफआईआई को बाजार में निवेश की अनुमति देने के जरिए इसका दायरा बढ़ाने को बल मिलेगा। इससे कमोडिटी बाजार में बड़े तौर पर कॉरपोरेट हेजिंग को बढ़ावा मिलेगा। अभी तक भारतीय कमोडिटी बाजार में हेजिंग ज्यादा प्रचलित नहीं है। बहरहाल सरकार के इन प्रस्तावों में से कोई भी अभी तक अंजाम तक नहीं पहुंचा है। ऐसे में एफएमसी का मानना है कि इस मौके पर एकरूपता की बात करना बेमानी होगी। खटुआ के मुताबिक, 'इस दौरान केवल एक काम हो सका है और वह है उपभोक्ता मंत्रालय से कुछ अधिकारों का हमें हस्तांतरण ताकि हम कमोडिटी बाजार को बेहतर तरीके से नियमित कर सकें। एक्सचेंजों को मान्यता देना और नहीं देना, साथ ही एक्सचेंजों के बोर्ड में बदलाव जैसे अहम अधिकार अब भी उपभोक्ता मंत्रालय के पास हैं।' खटुआ ने कहा कि सीमित दायरे के भीतर काम करने के बावजूद भी कमोडिटी वायदा बाजारों में पिछले छह सालों में 100 गुने की वृद्धि दिखाई दी है और एफएमसी 100 से ज्यादा कमोडिटी तथा बड़ी संख्या में डिलीवरी को नियमित करता है। (ET Hindi)

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