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30 जून 2009

बजट में खाद्य तेलों पर आयात शुल्क लगने की संभावना नगण्य

बजट में खाद्य तेलों के आयात पर शुल्क लगने की संभावना नहीं है क्योंकि अगर सरकार आयातित खाद्य तेलों पर 20 फीसदी शुल्क लगाती है तो घरेलू बाजार में इनकी कीमतों में चार-पांच रुपये प्रति किलो की तेजी आ सकती है। वैसे भी तिलहनों की नई फसल आने में अभी करीब साढ़े तीन-चार महीनों का समय शेष है। हालांकि चालू तेल वर्ष के पहले सात महीनों (नवंबर से मई) में भारत में खाद्य तेलों का आयात 70 फीसदी बढ़ा है। लेकिन आयात में भारी बढ़ोतरी के बावजूद भी खाद्य तेलों के भाव नवंबर के मुकाबले चालू महीने में लगभग 40 फीसदी बढ़े हैं।सूत्रों के अनुसार बजट में सरकार आयातित खाद्य तेलों के आयात पर शुल्क नहीं लगाएगी क्योंकि सरकार अभी खाद्य तेलों की कीमतों को स्थिर रखना चाहती है। जून महीने में मानसून की बेरुखी ने सरकार की चिंता वैसे भी बढ़ा रखी है। हालांकि पिछले तीन-चार दिनों से मानसून की प्रगति संतोषजनक रही है। इस समय थोक बाजार में सरसों तेल के दाम 50-52 रुपये तथा फुटकर में 62-65 रुपये प्रति किलो चल रहे हैं जबकि रिफाइंड पाम तेल के दाम थोक में 40-42 रुपये और फुटकर में 50-52 रुपये तथा सोया रिफाइंड तेल के दाम थोक में 50-52 रुपये और फुटकर में 62-65 रुपये, मूंगफली तेल के दाम थोक में 68-70 रुपये और फुटकर में 82-85 रुपये तथा बिनौला तेल के भाव थोक में 50-52 रुपये और फुटकर में 62-65 रुपये प्रति किलो चल रहे हैं।दिल्ली वेजिटेबल ऑयल ट्रेडर्स एसोसिएशन के सचिव हेमंत गुप्ता ने बताया कि सरकार अगर आयातित खाद्य तेलों पर बीस फीसदी शुल्क लगाती है तो इनकी कीमतों में चार से पांच रुपये प्रति किलो की तेजी आ जाएगी। हालांकि महंगाई की दर घटकर शून्य से नीचे चल रही है लेकिन खाद्यान्न के दाम ऊंचे ही बने हुए हैं। वैसे भी तिलहनों की नई फसल आने में अभी करीब साढ़े तीन-चार महीने का समय शेष है। ऐसे में सरकार खाद्य तेलों पर आयात शुल्क लगाकर कीमतों में बढ़ोतरी नहीं करना चाहेगी। यह भी माना जा रहा है कि इस समय शुल्क लगाने का फायदा किसानों को नहीं बल्कि आयातित तेल का स्टॉक कर चुके कारोबारियों को ही मिलेगा।साल्वेंट एक्सट्रेक्टर्स एसोसिएशन आफ इंडिया (सीईए) के मुताबिक चालू तेल वर्ष के पहले सात महीनों में खाद्य तेलों का आयात 50.43 लाख टन का हो चुका है।पिछले साल की समान अवधि में 29.73 लाख टन खाद्य तेलों का आयात हुआ था। खाद्य तेलों के व्यापारी अशोक कुमार ने बताया कि आयात में भारी बढ़ोतरी के बावजूद नवंबर से अब तक आयातित खाद्य तेलों के भावों में करीब 40 फीसदी की भारी तेजी आ चुकी है। नवंबर में आरबीडी पामोलीन के भाव 565 डॉलर प्रति टन (भारतीय बंदरगाह पर) थे जबकि चालू महीने में भाव 795 डॉलर प्रति टन हैं। इसी तरह से क्रूड पाम तेल के दाम नवंबर में 475 डॉलर थे जबकि इस समय इसके भाव 735 डॉलर प्रति टन हैं। हालांकि ये भाव पिछले साल जून के मुकाबले काफी कम है। जून 2008 में आरबीडी पामोलीन के भाव 1294 डॉलर और क्रूड पाम तेल के दाम 1196 डॉलर प्रति टन थे।क्रूड पाम तेल के भाव सीमित दायरे मेंकुआलालंपुर। एशियाई बाजारों में क्रूड पाम तेल के वायदा भाव सीमित दायरे में रहे। दिनभर के कारोबार के बाद मलेशिया डेरिवेटिव्स एक्सचेंज में क्रूड पाम तेल वायदा में मामूली नरमी रही। हाजिर में मांग कम होने से यहां सितंबर क्रूड पाम तेल वायदा करीब 57 रिंगिट की गिरावट के साथ 2,262 रिंगिट प्रति टन पर बंद हुआ। भारतीय मौसम विभाग ने चार जुलाई तक बाकी हिस्सों में मानसून के पहुंचने की उम्मीद जताई है। इस पूर्वानुमान का असर भी क्रूड पाम तेल के कारोबार पर पड़ा है। कारोबारियों के मुताबिक यदि सोयाबीन का रकबा पिछले साल के मुकाबले बढ़ता है तो आने वाले दिनों में क्रूड पाम तेल की कीमतों पर दबाव बढ़ने के आसार ज्यादा रहेंगे। मौजूदा समय में बाजार को अमेरिकी कृषि विभाग की रिपोर्ट का इंतजार है।ऐसे में माना यह जा रहा है कि आने वाले दिनों में क्रूड पाम तेल 2,230-2,350 रिंगिट प्रति टन के दायर में कारोबार कर सकता है। (Business Bhaskar......R S Rana)

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