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20 जून 2009

मानसून में देरी से दलहन व तिलहनों की बुवाई पिछड़ी

दिल्ली मानसून में देरी के कारण खरीफ सीजन की दलहन और तिलहन फसलों की बुवाई पिछड़ने लगी है। हालांकि मानसून अगले दो-तीन दिन में आने की संभावना व्यक्त की जा रही है लेकिन वैज्ञानिकों का कहना है कि अगर अब मानसून में और देरी न हो और अच्छी बारिश हो तभी पिछड़ चुकी बुवाई की भरपाई होने की उम्मीद की जा सकती है। आमतौर पर जून के पहले पखवाड़े में दक्षिण और मध्य भारत के राज्यों में मानसून की वर्षा शुरू हो जाती है। लेकिन जून का दूसरा पखवाड़ा आ जाने पर अभी तक मानसून की वर्षा शुरू नहीं हुई है।मौसम विभाग के अनुसार पश्चिमी तट पर मानसून 21 से 23 जून के बीच आने की संभावना है। लेकिन अगर इसमें देरी हुई तो फिर खरीफ फसलों खासकर दलहन, तिलहन, कपास और धान आदि की बुवाई प्रभावित होने से पैदावार तो घटेगी ही, साथ ही किसानों की लागत में भी बढ़ोतरी होगी। कृषि मंत्रालय द्वारा जारी आंकड़ों के अनुसार अभी तक देश में दलहन की बुवाई 1.81 लाख हैक्टेयर में ही हुई है जबकि पिछले साल की समान अवधि में इसकी बुवाई 1.88 लाख हैक्टेयर में हुई थी। इसी तरह से तिलहनों की अभी तक 4.14 लाख हैक्टेयर में बुवाई है जोकि पिछले साल के 5.02 लाख हैक्टेयर के मुकाबले कम है। हालांकि धान की बुवाई 8.01 लाख हैक्टेयर में हो चुकी है जोकि पिछले साल की समान अवधि के 7.15 हैक्टेयर में मुकाबले ज्यादा है। भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (आईसीएआर) के उपमहानिदेशक (एनआरएम) डॉ. ए के सिंह ने बिजनेस भास्कर को बताया कि मानसून की देरी से खासकर असिंचित क्षेत्रों में खरीफ फसलों की बुवाई प्रभावित हो रही है। 22-23 जून तक मानसून आने की संभावना है तथा अगर आगामी दिनों में मानसून अच्छा रहा तो अभी तक हुई देरी की भरपाई की जा सकती है। लेकिन अगर मानसून में और देरी हुई तो फिर खरीफ फसलों खासकर दलहन, तिलहन और धान की पैदावार में कमी आ सकती है। उन्होंने बताया कि हम इस पर नजर रखे हुए हैं तथा किसानों को कृषि विज्ञान केंद्र और विभिन्न संस्थाओं के माध्यम से उचित सलाह दी जा रही है। पूसा के वरिष्ठ वैज्ञानिक एवं एग्रोनॉमी विभाग के प्रोफेसर डॉ. आर. के. राय ने बताया कि मानसून की देरी के कारण पूरे भारत में अभी तक खरीफ फसलों में करीब 10 से 15 फीसदी का नुकसान हो चुका है। मानसून लेट होने से बुवाई में तो देरी होगी ही, साथ ही किसानों की लागत में भी इजाफा होगा। उन्होंने बताया कि मानसून पहले ही 10-12 दिन लेट हो चुका है तथा अगर इसमें और देरी हुई तो नुकसान में और बढ़ोतरी हो जाएगी।इसके अलावा सेंट्रल इंस्टीट्यूट ऑफ कॉटन रिसर्च (सीआईसीआर) के निदेशक डॉ. के. आर. क्रांति ने बताया कि इस वर्ष पहली बार भारतीय वैज्ञानिकों द्वारा विकसित बीटी कपास की किस्में जारी की गई हैं। लेकिन बारिश में देरी होने से फसल प्रभावित होने की आशंका बनी हुई है। मानसून 21 जून तक पश्चिमी तट परनई दिल्ली। राष्ट्रीय मध्यम अवधि मौसम पूर्वानुमान केंद्र (एनसीएमआरडब्ल्यूएफ) के निदेशक डॉ. एस.सी. कार ने बिजनेस भास्कर को बताया कि मानसून में देरी हो गई है और पश्चिम तट में इसके 21-23 जून तक पहुंचने की उम्मीद है। देश के 36 मेट्रोलॉजिकल सब-डिविजन में से 28 में कम बारिश हुई है और सिर्फ आठ डिवीजनों में सामान्य या सामान्य से अधिक बारिश हुई है। महाराष्ट्र और मुंबई में तो अगले दो-तीन दिनों में बारिश की संभावना है, लेकिन मध्य भारत में फिलहाल जल्द बारिश की कोई संभावना नहीं है। (Business Bhaskar....R S Rana)

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