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29 जुलाई 2009

ड्यूटी फ्री रॉ शुगर जुलाई के बाद भी आयात करने की इजाजत

सरकार ने ड्यूटी फ्री रॉ शुगर आयात करने की अनुमति एक अगस्त से भी आगे जारी रखने का फैसला किया है। रॉ शुगर के आयात के लिए निर्यात की कोई शर्त नहीं होगी। सरकार ने चीनी आयात करने के लिए सरकारी कंपनियों की अनुमति भी जारी रखने का फैसला किया है। ये कदम देश में चीनी की सुलभता बढ़ाने के लिए उठाए गए हैं।अधिकारिक सूत्रों ने बताया कि इन फैसलों की पुष्टि की है लेकिन यह नहीं बताया है कि आयात की यह अनुमति कब तक के लिए होगी। ये फैसले पिछले सप्ताह हुई केबिनेट की बैठक में लिए गए। उम्मीद है कि कृषि व खाद्य मंत्री शरद पवार मंगलवार को संसद में इन फैसलों की घोषणा कर सकते हैं। देश में हल्की बारिश होने के कारण एक अक्टूबर से शुरू हो रहे नए सीजन में भी चीनी का उत्पादन कम रहने की आशंका के बीच सरकार ने फैसला किया है। 17 जुलाई तक गन्ने की बुवाई का रकबा 42.50 लाख हैक्टेयर रहा जबकि पिछले साल इस तारीख तक 43.79 लाख हैक्टेयर में बुवाई हो गई थी। सरकार ने चीनी उत्पादन में कमी आने की आशंका पैदा होने पर पिछले अप्रैल में रॉ शुगर के आयात पर देय 60 फीसदी शुल्क हटा दिया था। इसके अलावा सरकार ने ओपन जनरल लाइसेंस (ओजीएल) के तहत रॉ शुगर आयात करने की अनुमति दी थी। ओजीएल के तहत आयात होने पर निर्यात की कोई शर्त नहीं होती है। सरकार ने यह अनुमति 31 जुलाई तक के लिए दी थी। इसके अलावा एक अगस्त से पहले दस लाख टन चीनी आयात करने के लिए सरकारी कंपनियों एमएमटीसी, एसटीसी व पीईसी को अनुमति दी थी।उद्योग के जानकारों के मुताबिक देश में अब तक 16.81 लाख टन रॉ शुगर का आयात हो चुका है। इस महीने के अंत तक 1.65 लाख टन रॉ शुगर और प्राप्त हो जाएगी। चीनी मिलें अब तक करीब 29 लाख टन रॉ शुगर के आयात के लिए अनुबंध कर चुकी है। इसी तरह सरकारी कंपनियां 1.15 लाख टन चीनी आयात के अनुबंध कर चुकी हैं। इसमें से 53,550 टन चीनी का आयात भी कर चुकी हैं। इस महीने के अंत तक कुल 79,605 टन चीनी का आयात हो जाएगा। देश में चीनी का उत्पादन मौजूदा सीजन के दौरान घटकर 155 लाख टन रहने के कारण तेजी का रुख बना हुआ है। इसी कारण चीनी की सुलभता बढ़ाने के लिए सरकार ने कदम उठाए। पिछले सीजन में देश में 264 लाख टन चीनी का उत्पादन हुआ था। देश में करीब 225 लाख टन चीनी की खपत होती है। उत्पादन घटने के कारण चीनी के दाम एक साल में 16-17 रुपये से बढ़कर 27-30 रुपये प्रति किलो तक पहुंच गए। (Business Bhaskar)

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