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27 जुलाई 2009

मांग हल्की पड़ने से प्लास्टिक दाना सस्ता

प्लास्टिक दाने की ग्राहकी कमजोर पड़ने लगी है। इस वजह से पिछले दस दिनों के दौरान इसके दाम पांच फीसदी तक घट चुके हैं। कारोबारियों के मुताबिक आगे भी प्लास्टिक दाने की मांग में सुधार होने की संभावना बहुत कम है। ऐसे में इसकी कीमतों में और गिरावट आ सकती है।प्लास्टिक बाजार में दो सप्ताह के दौरान पीपी-100 दाना की कीमत 82 रुपये से घटकर 78 रुपये, एलडी-40 दाना 83 रुपये से घटकर 79 रुपये, एलडीपीई के दाम 78 रुपये से घटकर 74 रुपये प्रति किलो रह गए हैं। जबकि एचएम के दाम 82 रुपये से घटकर 77 रुपये प्रति किलो रह गए हैं। सदर बाजार प्लास्टिक ट्रेडर एसोसिएशन के प्रधान राजेंद्र गर्ग ने बिजनेस भास्कर को बताया कि प्लास्टिक दाने की मांग में कमी के कारण इसके मूल्यों में पिछले दस दिनों के दौरान चार रुपये प्रति किलो की गिरावट आ चुकी है। हालांकि प्लास्टिक दाना सप्लाई करने वाली कंपनियों ने इसके मूल्यों में कोई कमी नहीं की है। कारोबारियों के मुताबिक प्लास्टिक दाने की मांग में कमी की वजह धन की तंगी है। इसके चलते स्टॉकिस्ट बाजार से गायब हैं। प्लास्टिक कारोबारी राजेश मित्तल के अनुसार दिल्ली सरकार द्वारा प्लास्टिक थैली की बिक्री, खरीद और भंडारण पर पाबंदी का असर न केवल प्लास्टिक कैरी बेग की बिक्री पर पड़ा हैं बल्कि अन्य प्लास्टिक उत्पादों की बिक्री पर भी पड़ रहा है। कारोबारियों के मुताबिक क्रूड ऑयल की कीमतों में उतार-चढ़ाव के कारण भी मांग प्रभावित हो रही है। गर्ग का कहना है कि बीते दिनों में क्रूड ऑयल के दाम 60-70 डॉलर प्रति बैरल के बीच चल रहे हैं। ऐसे स्टॉकिस्ट इस उतार-चढ़ाव के कारण अधिक खरीदारी से परहेज कर रहे हैं और तत्कालिक जरूरत के हिसाब से प्लास्टिक दानों की खरीदारी कर रहे हैं। जुलाई माह की शुरूआत में कंपनियों ने प्लास्टिक दाने की कीमतों में पांच तक की बढ़ोतरी की थी। इसकी वजह क्रूड ऑयल का महंगा होना था।गौरतलब है कि जून माह के दौरान कंपनियों ने सस्ते क्रूड ऑयल (40 डॉलर प्रति बैरल के आसपास) से उत्पादित प्लास्टिक दाने को निकालने के लिए इसके मूल्यों में करीब 12 फीसदी की कटौती की थी। भारत में प्लास्टिक दाने की सप्लाई करने वाली कंपनियों में रिलायंस पेट्रोकेमिकल्स, हल्दिया पेट्रोकेमिकल्स लिमिटेड और गेल इंडिया लिमिटेड प्रमुख है। दिल्ली में करीब 4,000 इकाइयां प्लास्टिक प्रोडक्ट बनाने का काम करती हैं और इस उद्योग से करीब दस हजार कारोबारी जुडे हैं। इसका सालाना कारोबार दस हजार करोड़ रुपये का है। (Business Bhaskar)

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