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29 अगस्त 2009

एपीलएल-बीपीएल उपभोक्ताओं को चीनी सप्लाई करने के फेर में फंसी सरकार

नई दिल्ली : गरीबी रेखा से नीचे रहने वाले (बीपीएल) उपभोक्ताओं के लिए अगले दो महीने और त्योहारी सीजन में पीडीएस में चीनी की सप्लाई दोगुनी करने के लिए खाद्य मंत्रालय जद्दोजहद कर रहा है। पीडीएस में चीनी सप्लाई बढ़ाने के लिए खाद्य मंत्रालय 50,000 करोड़ रुपए की शुगर इंडस्ट्री के साथ समझौता करने की कोशिश कर रहा है। अगर सरकार ऐसा करने में नाकाम रहती है तो उसे एसेंशियल कमोडिटीज एक्ट लागू करने पर मजबूर होना पड़ेगा जिससे इंडस्ट्री को कम से कम बीपीएल उपभोक्ताओं के लिए चीनी की सप्लाई करने के लिए मजबूर किया जा सके। खाद्य मंत्री शरद पावर को कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी द्वारा लिखे पत्र के कारण इस बात का दबाव और बढ़ा है। कांग्रेस अध्यक्ष ने पत्र में लिखा है कि पीडीएस में जरूरतमंद उपभोक्ताओं के लिए चीनी की सप्लाई सुनिश्चित की जाए।
इसके अलावा खुले बाजार में भी चीनी की खुदरा कीमतों को कम करने के प्रयास किए जाएं। आदर्श तौर पर सरकार चाहती है कि राशन की दुकानों पर चीनी की अधिक सप्लाई कर पीडीएस में गरीबी रेखा से ऊपर और बीपीएल परिवारों दोनों को राहत दी जाए। हालांकि चीनी की मौजूदा सप्लाई को देखते हुए एपीएल और बीपीएल दोनों उपभोक्ताओं के लिए चीनी की सप्लाई दोगुनी करना मुश्किल जान पड़ता है। एक तो 2008-09 में चीनी का उत्पादन कम हुआ है तो दूसरी तरफ अक्टूबर सीजन में शुरू होने वाले पेराई सीजन में स्थितियों में कोई सुधार आने की संभावना नहीं है। इस सप्ताह मंगलवार को सरकार और उद्योग की बैठक में 'आमराय' नहीं बन पाई। शुगर इंडस्ट्री ने पीडीएस में एपीएल उपभोक्ताओं को कम से कम दो किलो चीनी सप्लाई करने के सभी प्रस्तावों को स्पष्ट तौर पर नकार दिया। यह लगातार चौथी बैठक थी जिसमें कोई हल नहीं निकला। हालांकि वह शर्तों के साथ बीपीएल उपभोक्ताओं के लिए चीनी सप्लाई करने पर सहमत हुई है। (इत हिन्दी)

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