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25 अगस्त 2009

चीनी की उपभोक्ता कंपनियों पर भी स्टॉक लिमिट लागू

खुले बाजार में चीनी की उपलब्धता बढ़ाने के लिए केंद्र सरकार ने बड़ी उपभोक्ता कंपनियों पर भी स्टॉक लिमिट लगा दी है। केंद्र सरकार द्वारा 22 अगस्त को जारी किए गए आदेश के मुताबिक जो कंपनियां हर माह 10 क्विंटल से ज्यादा चीनी की खपत करती हैं, वे 15 दिन से ज्यादा का स्टॉक नहीं रख सकेंगी। बड़ी कंपनियों पर अगले छह महीने के लिए स्टॉक लिमिट लगाई गई है तथा आदेश जारी होने के 21 दिन बाद लिमिट लागू हो जाएगी। हालांकि केंद्र सरकार, राज्य सरकार और केंद्र शासित प्रदेशों से मान्यता प्राप्त चैरिटेबल ट्रस्ट, हॉस्पीटल और होस्टल को लिमिट के दायरे से बाहर ही रखा गया है। बहुराष्ट्रीय कंपनी के एक अधिकारी ने बताया कि इससे चीनी की कीमतों पर आंशिक फर्क पड़ सकता है क्योंकि स्टॉक लिमिट लगा देने से कंपनियों की खरीद पहले की तुलना में घट जाएगी। चीनी के थोक और फुटकर व्यापारी पर क्रमश: 2000 क्विंटल और 200 क्विंटल की लिमिट पहले लगी हुई है। लेकिन कुल उत्पादन का लगभग 60 फीसदी हिस्सा खपत करने वाली बड़ी कंपनियों और हलवाइयों पर अभी तक कोई लिमिट नहीं लगाई गई थी। जिसकी वजह से सरकारी कोशिशों के बाद भी फुटकर बाजार में चीनी की कीमतों में अपेक्षित गिरावट नहीं आ पा रही थी। सूर्या फूड एंड एग्रो लिमिटेड के डायरेक्टर शेखर अग्रवाल ने बताया कि ऊंचे दाम होने की वजह से कंपनियां चीनी का केवल सात-आठ दिन का स्टॉक रख पा रही है इसलिए सरकार के इस कदम से कीमतों पर फर्क पड़ने की संभावना नहीं है।सरकारी बंदिशों के बावजूद फुटकर और थोक बाजार में चीनी के दाम तेज बने हुए है। सोमवार को दिल्ली थोक बाजार में चीनी के दाम बढ़कर 3000 रुपये और एक्स-फैक्ट्री भाव बढ़कर 2900 रुपये प्रति क्विंटल हो गए। फुटकर बाजार में इस समय चीनी के भाव 32 रुपये प्रति किलो से ऊपर चल रहे हैं। चालू पेराई सीजन में देश में चीनी का उत्पादन 150 लाख टन से भी कम होने की संभावना है। जबकि पिछले साल 264 लाख टन का उत्पादन हुआ था। उत्पादन में कमी के कारण ही इस समय शुल्क मुक्त चीनी का आयात किया जा रहा है। उद्योग सूत्रों के अनुसार अभी तक प्राइवेट कंपनियों द्वारा करीब 40 लाख टन रॉ-शुगर (गैर-रिफाइंड चीनी) के आयात सौदे किये जा चुके हैं। लेकिन भारत और अन्य देशों की मांग के कारण अंतरराष्ट्रीय बाजार में चीनी के दामों में भारी तेजी बनी हुई है। आयातित चीनी के दाम भारतीय बंदरगाह पर पहुंच 610 डॉलर और रॉ-शुगर के दाम 525 डॉलर प्रति टन हो गए हैं। मौजूदा भावों में चीनी का आयात भी मिलों को घाटे का सौदा साबित हो रहा है। (Business Bhaskar....R S Rana)

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