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22 अगस्त 2009

दालों और खाद्य तेलों का आयात कर सकती है सरकार

नई दिल्ली: सूखे के कारण स्थिति विकट होने की आशंका के बीच सरकार ने शुक्रवार को कहा कि देश में अगर दालों और खाद्य तेलों जैसी आवश्यक खाद्य वस्तुओं की अधिक तंगी महसूस हुई तो इनका आयात किया जा सकता है। वित्त मंत्री प्रणव मुखर्जी ने राजधानी में राज्यों के कृषि मंत्रियों के सम्मेलन में कहा, 'दालों और खाद्य तेलों की आपूर्ति कम देखी जा रही है। इस बात का निर्णय किया जा चुका है कि जिस भी कमोडिटी की आपूर्ति में कमी होगी, हम उसका आयात करेंगे ताकि मांग-आपूर्ति में संतुलन कायम रखा जा सके।' इस बीच श्रम मंत्रालय की ओर से जारी आंकड़ों के अनुसार जुलाई में कृषि कामगारों के लिए उपभोक्ता मूल्य सूचकांक के आधार पर किए जाने वाले आकलन में खुदरा महंगाई की दर में 12.9 फीसदी की बढ़ोतरी हुई है।
इसी तरह ग्रामीण कामगारों के लिए यह दर 12.67 फीसदी बढ़ी है। रिपोर्ट में कहा गया कि इसकी वजह खाद्य पदार्थों की कीमतों में आई तेजी है। तीन राज्यों में निकट भविष्य में चुनाव होने के कारण केंद्र सरकार खाद्य पदार्थों की आसमान छूती कीमतों में कमी लाने के लिए जीतोड़ कोशिश कर रही है। खाद्य पदार्थों की बढ़ती कीमतों के कारण रीटेल इंफ्लेशन 10 साल के उच्चतम स्तर पर पहुंच गई है। आवश्यक कमोडिटी के आयात के मुद्दे पर मुखर्जी ने कहा कि सरकार इनके आयात के समय के बारे में पहले से एलान नहीं करेगी। इसका मकसद यह सुनिश्चित करना है कि अंतरराष्ट्रीय बाजार में विदेशी कंपनियां कृत्रिम तरीके से कीमतें न बढ़ा दें। उन्होंने कहा कि जिस क्षण यह खबर फैलेगी कि भारत बड़े पैमाने पर आयात करने जा रहा, बाजार में कीमतें ऊपर चढ़ने लगेंगी। सूखे के प्रभाव के बारे में वित्त मंत्री ने कहा कि इससे न केवल उत्पादन प्रभावित होता है, बल्कि अर्थव्यवस्था पर भी इसका व्यापक प्रभाव पड़ता है। महाराष्ट्र में इस साल अक्टूबर-नवंबर में चुनाव होने हैं तो हरियाणा में अगले साल चुनाव होने हैं। झारखंड में अभी राष्ट्रपति शासन है और वहां पर साल के अंत तक चुनाव हो सकते हैं। अर्थशास्त्रियों का कहना है कि कम मॉनसून से जाड़े में भी फसलों पर असर पड़ सकता है क्योंकि मिट्टी में नमी की मात्रा कम हो गई है। सिटी में अर्थशास्त्री रोहिणी मलकाणी ने एक रिसर्च नोट में कहा है, 'मॉनसून में कमी से मिट्टी की नमी पर बुरा असर पड़ेगा, इससे भूमिगत पानी पर भी असर पड़ेगा और जल संरक्षण केंद्र भी प्रभावित होंगे। इससे इस बात पर भी सवाल खड़े हो गए हैं क्या जाड़े की फसल गर्मियों की फसलों की पैदावार में आने वाली कमी की भरपाई कर पाएगी। जाड़े की फसलों के खराब होने की भी आशंका बढ़ गई है।' (ET Hindi)

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