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24 अगस्त 2009

सही अंदाजा लगाने का इनाम नहीं देता है गोल्ड मार्केट

नई दिल्ली- सोना कब 1000 डॉलर प्रति औंस पर पहुंचेगा? इसका अंदाजा लगाना बेहद मुश्किल है। इसलिए नहीं कि हम बुद्धू हैं, बल्कि इसलिए कि हम बहुत चतुर हैं। गोल्ड मार्केट में इस बात से कोई फर्क नहीं पड़ता कि आप सोने के बारे में कितना जानते हैं क्योंकि दूसरे भी तकरीबन वही बातें जानते हैं। सोना किसी समुद्र के किनारे की आरामगाह का वह स्पा है जहां सभी परेशानहाल, चिंतित और आलसी निवेशक शरण लेते हैं। जितने ज्यादा थके और घबराए हुए लोग इस स्पा में होंगे, इसमें कमरा बुक कराना उतना ही महंगा होगा। तो जो भी सोने की ओर कदम बढ़ाता है, वह उन सभी संकेतकों पर नजर डालता है जो दूसरों की घबराहट मापते हैं। जितनी ज्यादा घबराहट दिखेगी, सोने के स्पा में पहुंचने की बेकरारी भी उतनी ही अधिक होगी, तब भी जब कमरों की बुकिंग महंगी हो रही हो।
विभिन्न मुद्राओं के साथ डॉलर की विनिमय दर, अमेरिकी बैंक की ब्याज दर और दुनिया की सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था अमेरिका के प्रदर्शन को लेकर जताए जाने वाले अनुमान सर्वाधिक वांछित संकेतक हैं। भारतीय निवेशक भी डॉलर-रुपए की विनिमय दर पर नजर रखते हैं। सोने में मांग-आपूर्ति के तमाम आधारभूत कारक हैं। मसलन, सरकारी केन्द्रीय बैंक कितना सोना बेच सकते हैं, कितने सोने का खनन हो रहा है और एक्सचेंज ट्रेडेड फंड्स, धनी यूरोपीय और आगामी भारतीय दुल्हनों के माता-पिता जैसे निवेशक कितनी खरीदारी कर रहे हैं। चूंकि विशालकाय हेज फंड, इंडेक्स फंड और बैंक फ्यूचर एक्सचेंजों के जरिए सोने की खरीद-फरोख्त करते हैं, लिहाजा उनकी स्थिति और उनकी ओर से लगाई जाने वाली रकम पर भी ध्यान रखना जरूरी होता है। इनके अलावा मार्जिन कॉल जैसे कुछ मामूली कारक भी होते हैं। जब ब्रोकर मार्जिन कॉल देते हैं तो रकम की तंगी से परेशान मैनेजर घाटे में न जाने से बचने के लिए सौदे काटने लगते हैं जिससे सोने की कीमतों में गिरावट आती है। इसी तरह अगर कोई बड़ा फंड प्रॉफिट बुक करने का निर्णय करे तो दूसरे भी वही राह पकड़ लेते हैं। एक विश्लेषक का कहना है कि वह अमेरिकी फंडों के बोनस की घोषणा पर नजर रखते हैं। उनका कहना है, 'फंड मैनेजर बोनस के एलान से पहले आमतौर पर प्रॉफिट बुक करते हैं ताकि उनकी आमदनी बढ़ सके। इसी तरह जून में मुनाफा वसूली होती है। क्रिसमस से पहले नवंबर में भी ऐसा ही होता है।' सोने के बारे में मार्केट रिपोर्ट भी आती रहती हैं। लेकिन असली समस्या भी इन्हीं के साथ होती है। विश्लेषक, ब्रोकर और निवेशक...सभी के पास इतनी सूचनाएं होती हैं कि इन रिपोर्ट को देखकर कोई हैरत नहीं होती। हालत यह होती है कि सभी रुझानों की भविष्यवाणी की जा चुकी होती है और बाजार में कुछ भी ऐसा नहीं होता है जिसके बारे में भविष्यवाणी की जा सके। शेयर बाजार में तो चतुर निवेशक इसलिए मुनाफा बना सकते हैं कि वहां सभी लोगों के पास पर्याप्त सूचनाएं नहीं होती हैं, लेकिन जानकार निवेशकों के कारण ही गोल्ड मार्केट में कुछ भी पक्के तौर पर नहीं कहा जा सकता है। यह बाजार उन लोगों को कोई अतिरिक्त लाभ नहीं देता है जिनके पास सूचनाओं का जखीरा हो क्योंकि दूसरों के पास भी यही मसाला होता है। यह सिर्फ तुक की बात है कि किसी दिन आप मुनाफा बना लें। (ET Hindi)

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