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24 सितंबर 2009

होगा 10 लाख टन मूंगफली उत्पादन

राजकोट September 23, 2009
सौराष्ट्र ऑयल मिलर्स एसोसिएशन (सोमा) ने वित्तीय वर्ष 2009-10 में 10 लाख टन मूंगफली उत्पादन के अनुमान की घोषणा की है। यह राज्य में पिछले साल के उत्पादन के मुकाबले 7 लाख टन है।
राज्य सरकार ने गुजरात में मूंगफली की फसल के लिए 14 लाख हेक्टेयर भूमि रखी है। हालांकि सोमा ने सालाना बैठक में सरकार के आंकड़ों से असहमति जताई है। कारोबारी संस्था का विचार यह है कि मूंगफली की बुआई में धीरे-धीरे कमी आई है क्योंकि किसानों ने अब कपास की फसल पर ध्यान देना शुरू कर दिया है।
सोमा के जारी आंकड़ों के मुताबिक जूनागढ़ से 3.25 लाख टन, जामनगर 3 लाख टन, राजकोट से 1 लाख टन और 90,000, अमरेली से 50,000 टन, पोरबंदर से 50,000 टन, भावनगर से 25,000 टन और सुरेन्द्रनगर और कच्छ से 80,000 टन मूंगफली के उत्पादन का अनुमान लगाया गया है। सोमा कहना है, 'कुल उत्पादन 10 लाख टन से ज्यादा नहीं होगा।'
सोमा के अध्यक्ष उकाभाई पटेल का कहना है, 'किसानों को मूंगफली के लिए बेहतर कीमत नहीं मिलती, इसी वजह से उनका ध्यान कपास और दूसरी नकदी फसलों पर चला गया। नतीजतन ऑयल मिलों को कच्चे माल की कमी का सामना करना पड़ रहा है। इसी वजह से मूंगफली की कीमतें निकट भविष्य में 1500-1700 रुपये प्रति किलोग्राम तक हो सकती हैं।'
उन्होंने मिलों को मूंगफली के तेल में मिलावट न करने की सलाह दी है। पटेल का कहना है, 'राज्य सरकार बुआई का गलत आंकड़ा पेश कर रही है। इस साल ज्यादातर किसान कपास की खेती करना चाहते हैं क्योंकि वे मूंगफली की कीमतों से खुश नहीं है। इसके अलावा कम बारिश ने उत्पादकता को नुकसान पहुंचाया है। दक्षिणी गुजरात में मूंगफली की फसल खराब बारिश की वजह से नाकाम हो चुकी है।'
पाम और सोया तेल की अंतरराष्ट्रीय कीमतों कम हो रही हैं क्योंकि खाद्य तेलों के आयात में बढ़ोतरी हुई है क्योंकि इन तेलों के आयात शुल्क मुक्त हो चुका है। सोमा ने केंद्र सरकार से आयातित खाद्य तेल पर शुल्क लगाने के लिए निवेदन किया है और मूंगफली के निर्यात के लिए इजाजत की गुजारिश की है। भारत लगभग 2 लाख टन मूंगफली का उत्पादन करता है और लगभग 40,000 टन का निर्यात करना है।
कई पश्चिमी राज्य मसलन गुजरात और महाराष्ट्र मूंगफली के तेल के बड़े उपभोक्ता हैं। लेकिन पिछले 4-5 सालों से इन राज्यों के किसानों ने अपना रुख कपास बीज के तेल की ओर कर दिया है क्योंकि मूंगफली तेल की कीमतें बहुत ज्यादा है और स्वास्थ्य को लेकर जागरुकता भी बढ़ रही है। महंगाई बढ़ने और राज्य में घरेलू मूंगफली के उत्पादन में कमी आने की वजह से कारोबारी सरकार से नाराज हैं।
राजमोती ऑयल मिल के समीर शाह का कहना है, 'महंगाई का नियंत्रण करने के लिए सरकार ने गैरजरूरी कदम उठाया और मूंगफली तेल के निर्यात पर रोक लगा दी। सरकार को यह समझना चाहिए की गैरजरूरी नियंत्रण कोई हल नहीं है और घरेलू उत्पादन को बढ़ाने के लिए कदम उठाए जाने चाहिए।' (बीएस हिन्दी)

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