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31 अक्तूबर 2009

इस साल 60 हजार करोड़ के पार जा सकता है फूड सब्सिडी बिल

नई दिल्ली : देश में धान की फसल पर सूखा और बाढ़ की दोहरी मार पड़ने के कारण इस साल खाद्य सब्सिडी बिल 60,000 करोड़ रुपए का आंकड़ा पार कर सकता है। यह आंकड़ा वित्त वर्ष 2009-10 के लिए तय बजटीय अनुमान 52,145.44 करोड़ रुपए से कहीं ज्यादा है। किसानों को धान पर 50 रुपए का बोनस देने और बाद में ऊंची कीमत पर चावल आयात की आशंका को देखते हुए इस साल खाद्य सब्सिडी बिल में उछाल तय दिख रही है। खाद्य मंत्रालय के एक अधिकारी ने संकेत दिए कि चावल उत्पादन में करीब 1.70 करोड़ टन की गिरावट की आशंका और बाजार में सप्लाई के मोर्चे पर लगभग 50 लाख टन की कमी को देखते हुए 20-30 लाख टन चावल आयात की जरूरत होगी। कारोबारी विश्लेषकों के मुताबिक, 'मध्यम अवधि में इसका मतलब कम से कम 10 लाख टन चावल का आयात है।'
पिछले कुछ साल से खाद्य सब्सिडी बिल का आंकड़ा लगातार बढ़ता जा रहा है। चावल, गेहूं, तिलहन और दाल जैसी प्रमुख कमोडिटी की पैदावार कम होने के बाद प्रमुख अनाजों का समर्थन मूल्य बढ़ाने और ऊंची कीमत पर अनाज आयात करने से खाद्य सब्सिडी बिल बढ़ता जा रहा है। 9 सितंबर तक सरकार ने खाद्य सब्सिडी के लिए 29,604।21 करोड़ रुपए जारी किए थे। समर्थन मूल्य की ऊंची दर बरकरार रखने की वजह से 2001-01 और 2002-03 के बीच खाद्य सब्सिडी बिल में सालाना 30 फीसदी से ज्यादा बढ़ोतरी दर्ज की गई। कुछ समय इसकी रफ्तार थमी, लेकिन फिर 2007-08 में इसमें 31.2 फीसदी सालाना वृद्धि देखी गई। वहीं 2008-09 में खाद्य सब्सिडी बिल की वृद्धि दर 40 फीसदी रही। 2008-09 में फूड सब्सिडी बिल 50,000 करोड़ तक पहुंच गया था। यह आंकड़ा 2007-08 के 31,546 करोड़ रुपए से 51 फीसदी यानी 18,454 करोड़ रुपए ज्यादा है। यह उस साल के लिए 17,333 करोड़ रुपए के बजटीय प्रावधान को भी पार कर गया। कुछ ऐसी ही सूरत इस साल के फूड बजट के साथ भी दिख रही है क्योंकि सरकार ने धान के सबसे बड़े उत्पादक राज्य उत्तर प्रदेश में किसानों को प्रोत्साहित करने के लिए धान की सभी किस्मों की खरीद पर 50 रुपए के बोनस की घोषणा कर दी है। यह बोनस एसएमपी के अतिरिक्त होगा। यह कदम सरकारी खरीद बढ़ाने के लिहाज से उठाया गया है। अगस्त के अंत में सरकार ने धान की ग्रेड ए और आम किस्मों के लिए क्रमश: 980 रुपए और 950 रुपए प्रति क्विंटल का समर्थन मूल्य घोषित किया था। पिछले साल ये क्रमश: 880 रुपए और 850 रुपए प्रति क्विंटल थे। बोनस का अर्थ यह है कि चावल की आर्थिक लागत (खरीद, भंडारण एवं परिवहन) बढ़ जाएगी। (ई टी हिन्दी)

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