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22 अक्तूबर 2009

बासमती के भाव में गिरावट की संभावना

मौजूदा खरीफ सीजन में बासमती चावल का उत्पादन 40 लाख टन रह सकता है। यह उत्पादन पिछले साल से मामूली ज्यादा होगा। लेकिन बासमती के दाम पिछले साल से 40 फीसदी तक नीचे आ सकते हैं। यह गिरावट अगले तीन महीनों में आने की संभावना है।बासमती चावल निर्यातक कोहिनूर फूड्स के ज्वाइंट मैनेजिंग डायरेक्टर गुरनाम अरोड़ा ने बताया कि भारत में इस साल उत्पादन बासमती चावल का उत्पादन सिर्फ 0।5 फीसदी बढ़ने की उम्मीद है लेकिन अगले तीन-चार माह में घरेलू और निर्यात बाजार में दाम 30 से 40 फीसदी तक गिरने का अनुमान है। मूल्य में यह गिरावट मुख्य रूप से 1121 पूसा बामसती का उत्पादन करीब 50 फीसदी बढ़ने के कारण आ सकती है। पंजाब और हरियाणा में बासमती चावल का रकबा 50 फीसदी बढ़ा था। इसका एरिया 8 लाख हैक्टेयर से बढ़कर 15 लाख हैक्टेयर तक पहुंच गया। वर्ष 2008-09 में ईरान से 1121 पूसा बासमती चावल की जोरदार मांग निकलने के कारण दाम बढ़कर 2200 डॉलर प्रति टन तक पहुंच गया था। जबकि सामान्य रूप से इसका भाव 1200 से 1300 डॉलर प्रति टन रहता है। इस साल बामसती का दाम 1200 डॉलर प्रति टन के आसपास रह सकता है। गुरनाम ने कहा कि उत्पादन बढ़ने के साथ ही बासमती का निर्यात भी बढ़ने की संभावना है। इस साल बासमती चावल का निर्यात 30 फीसदी बढ़कर 22 लाख टन तक पहुंच सकता है। क्वालिटी को लेकर विवाद होने पर ईरान से भी अच्छी मांग निकल सकती है। भारत और ईरान दोनों ही देशों की सरकारों ने स्पष्ट किया है कि 1121 पूसा बासमती में कोई नुकसानदायक तत्व और केमिकल मौजूद नहीं है। पिछले साल ईरान ने 8 लाख टन बासमती का निर्यात किया था। इस साल यह निर्यात बढ़कर 10 लाख टन तक पहुंच सकता है। बासमती के दामों में आगे गिरावट आने की संभावना को देखते हुए कंपनियां अपनी रणनीति पर दुबारा विचार कर रही हैं। (बिज़नस भास्कर)

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