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22 अक्तूबर 2009

हो सकती है गन्ने की समान मूल्य व्यवस्था

मुंबई October 21, 2009
भारत सरकार देश भर में गन्ने का एक समान मूल्य तय कर सकती है।
अगर इस तरह का कोई फैसला होता है तो इससे राज्यों का राज्य समर्थित मूल्य (एसएपी) तय करने का अधिकार खत्म हो जाएगा। इस खबर की सुगबुगाहट के साथ ही मंगलवार को चीनी के शेयरों के भाव 9 प्रतिशत चढ़ गए।
कोलकाता की बलरामपुर चीनी के एमडी और इंडियन शुगर मैन्युफैक्चरर्स एसोसिएशन (आईएसएमए) के उपाध्यक्ष विवेक सरावगी के मुताबिक उद्योग जगत ने केंद्रीय कृषि मंत्रालय से गन्ने का देश भर में बाजार आधारित मूल्य रखे जाने का अनुरोध किया है, जिससे मिलें देश भर के किसानों को गन्ने की एकसमान कीमत का भुगतान कर सकें।
अगर गन्ने की कीमत एक समान होगी तो देश भर की मिलें समान लागत पर चीनी का उत्पादन कर सकेंगी। साथ ही इससे देश भर में चीनी की कीमतें भी एकसमान रहेंगी। इस मामले से जुड़े एक उच्च पदस्थ सूत्र ने कहा कि इस दिशा में एक सकारात्मक काम चल रहा है। हालांकि इस सिलसिले में अब तक कोई ठोस फैसला नहीं लिया गया है।
चीनी उद्योग 2007-08 में हुए रिकॉर्ड उत्पादन के बाद पिछले दो साल से संकट के दौर से गुजर रहा है। 2008-09 में उत्पादन बहुत ज्यादा गिर गया। लेकिन केंद्र और राज्य दोनों ही सरकारों ने वैधानिक न्यूनतम मूल्य ( एसएमपी) और राज्य समर्थित मूल्य (एसएपी) में बढ़ोतरी जारी रखा।
जून महीने में केंद्र सरकार ने एसएमपी 81.18 रुपये प्रति क्विंटल से बढ़ाकर 107.76 रुपये प्रति क्विंटल कर दिया, वहीं पिछले साल की तुलना में एसएपी बढ़ाकर 145 रुपये प्रति क्विंटल किया गया। कम गन्ना उत्पादन के चलते पिछले साल मिलों को गन्ने की आपूर्ति पर प्रीमियम देने के लिए विवश होना पड़ा और इससे चीनी के उत्पादन की लागत बहुत बढ ग़ई।
गन्ने की कीमतों में बढ़ोतरी की वजह से मिलों के मुनाफे पर बुरा असर पड़ा, जिसके चलते पिछले साल तो गन्ने की पेराई कठिन हो गई। 2007-08 सत्र में भारत में कुल 2.8 करोड़ टन चीनी का उत्पादन हुआ, जबकि उसके अगले साल उत्पादन घटकर 1.47 करोड़ टन रह गया। वहीं खपत बढ़कर 2.3 करोड़ टन हो गया।
पिछले साल चीनी के दाम गिरकर 14-15 रुपये प्रति किलो तक पहुंच गए। चीनी मिलों के मुताबिक ये दाम उत्पादन लागत से भी 2-3 रुपये प्रति किलो कम थे। इस साल के दौरान कीमतें बढ़कर 35 रुपये प्रति किलो हो गई। स्थिति यह हो गई कि सरकार को स्टॉक लिमिट की व्यवस्था लागू करनी पड़ी। साथ ही चीनी का वायदा कारोबार भी रोक दिया गया। (बीएस हिन्दी)

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