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31 अक्तूबर 2009

गन्ने की एफआरपी पर मायावती आगबबूला

केंद्र सरकार द्वारा गन्ने की नई मूल्य व्यवस्था, उचित एवं लाभकारी मूल्य (एफआरपी) के तहत 129.86 रुपये प्रति क्विंटल का दाम तय करने के अगले ही दिन उत्तर प्रदेश की मुख्यमंत्री मायावती ने केंद्र सरकार के खिलाफ मोर्चा खोल दिया। उन्होंने इस व्यवस्था को गन्ना किसानों और राज्य दोनों के खिलाफ बताते हुए प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह को पत्र लिखकर राज्य द्वारा गन्ने का राज्य परामर्श मूल्य (एसएपी) तय करने की पुरानी व्यवस्था को बरकरार रखने की मांग की है। साथ ही साफ किया है कि नई व्यवस्था के तहत एफआरपी और एसएपी के अंतर का भुगतान राज्य सरकार नहीं करेगी। यही नहीं, गन्ने के कम दाम को लेकर राज्य में किसानों के आंदोलन को जायज ठहराते हुए मायावती ने कहा कि इस मुद्दे पर राज्य के 40 लाख गन्ना किसानों का आंदोलित होना स्वाभाविक है।
केंद्र की नई व्यवस्था में एफआरपी से अधिक एसएपी तय करने पर राज्यों पर ही इस अंतर के भुगतान की शर्त लागू होने के बाद मायावती पहली मुख्यमंत्री हैं जिन्होंने इस व्यवस्था पर केंद्र से पुनर्विचार करने के लिए कहा है। उत्तर प्रदेश सरकार के सूत्रों के मुताबिक मायावती ने शुक्रवार को प्रधानमंत्री को लिखी चिट्ठी में यह बातें कही हैं। यूपी में राज्य सरकार द्वारा तय 165 और 170 रुपये प्रति क्विंटल के एसएपी के खिलाफ भी किसान आंदोलन कर रहे हैं। केंद्र द्वारा एफआरपी तय करने के अगले ही दिन मायावती द्वारा इस मुद्दे पर सीधे प्रधानमंत्री से हस्तक्षेप के लिए कहने से यह बात भी साबित हो रही है कि राज्य सरकार इस मुद्दे पर भारी राजनीतिक दबाव में है। इसलिए केंद्र की कांग्रेस सरकार को घेरने में वह देर नहीं करना चाहती है।
मायावती ने प्रधानमंत्री से अनुरोध किया है कि वह एफआरपी और एसएपी का अंतर राज्यों द्वारा वहन किए जाने की व्यवस्था पर पुनर्विचार करें। पत्र में कहा गया है कि राज्य सरकार द्वारा एसएपी तय करने के अधिकार को उच्चतम न्यायलय की भी मान्यता प्राप्त है। राज्य सरकार को विश्वास में लिए बगैर केंद्र द्वारा एफआरपी तय करने पर भी मायावती ने नाराजगी जाहिर की है। प्रदेश में गन्ना किसानों के आंदोलन को भी उन्होंने जायज ठहराया।
देश के तमाम किसान संगठन इसका विरोध कर रहे हैं। मुख्यमंत्री ने कहा कि भारत सरकार ने गन्ने का एफआरपी निर्धारित करने के लिए आवश्यक वस्तु अधिनियम और शुगर केन कंट्रोल ऑर्डर-1966 में संशोधन कर अप्रत्यक्ष रूप से राज्य सरकारों के एसएपी निर्धारण करने के अधिकार को समाप्त कर दिया है। मायावती ने कहा कि पेराई सत्र 2009-10 के लिए भारत सरकार ने गन्ने के लिए 9.50 फीसदी रिकवरी के आधार पर 129.86 रुपये प्रति क्विंटल की एफआरपी निर्धारित की है। वहीं, 9 फीसदी रिकवरी के आधार पर पेराई सत्र 2009-10 के लिए एफआरपी महज 123 रुपये प्रति क्विंटल बैठती है।
राज्य सरकार ने गन्ने की सामान्य प्रजाति के लिए 165 रुपये प्रति क्विंटल और अगेति प्रजाति के लिए 170 रुपये प्रति क्विंटल का भाव निर्धारित किया है। उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार की इस नीति से प्रदेश के किसानों में जबरदस्त रोष है और उनका आंदोलित होना स्वाभाविक है। (बिज़नस भास्कर)

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