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20 अक्तूबर 2009

यूरोप में पाम तेल पर सब्सिडी पाने की कोशिश में मलेशिया

मलेशिया का कोशिश है कि बायो फ्यूल बनाने के लिए यूरोप में आयात होने वाले पाम तेल पर सब्सिडी दी जाए। इसके लिए वह पाम तेल से बने बायो फ्यूल से ग्रीन हाउस गैसों के उत्सर्जन में कमी प्रमाणित कराने की कोशिश करेगा। अध्ययनों से पता चलता है कि पाम तेल से बने बायो फ्यूल से ग्रीन हाउस गैसों में कमी यूरोप के मानकों के अनुरूप होती है। लेकिन इसके नतीजों में काफी भिन्नता पाई गई है। मलेशिया चाहता है कि यूरोप में पाम तेल से बने बायो फ्यूल से ग्रीन हाउस गैसों के उत्सर्जन में कमी पर आम सहमति बने। इससे वहां के पाम तेल पर सब्सिडी मिलने लगेगी। मलेशियाई पाम ऑयल काउंसिल के चीफ एक्जीक्यूटिव यूसुफ बेसीरोन का कहना है कि अगले दशक में ग्रीन हाउस गैसों में कटौती का लक्ष्य बढ़ सकता है।स्थानीय पाम तेल मिलों को अपनी प्रोसेसिंग में तकनीकी सुधार करना होगा ताकि नए मानक हासिल किए जा सकें। पाम तेल के लाइफ-साइकिल आंकलन से पता चलता है कि फॉसिल फ्यूल (जैसे क्रूड ऑयल, कोल) के मुकाबले पाम की फसल उगाने से लेकर उपभोक्ताओं तक बायो फ्यूल पहुंचने तक ग्रीन हाउस गैसों में कितनी कमी आती है। बेसीरोन के अनुसार पूरी दुनिया में अनुसंधानकर्ताओं ने विभिन्न तरीकों से ग्रीन हाउस गैसों में कमी का आकलन किया है। इन अध्ययनों के अनुसार बायो फ्यूल से ग्रीन हाउस गैसों में कमी के बारे में न्यूनतम 19 फीसदी का अनुमान लगाया गया है।अधिकतम 72 फीसदी ग्रीन हाउस गैसों में कमी की बात कही गई है। इन अध्ययनों में इतना भारी अंतर के कारण बायोफ्यूल के संबंध में कानून और मानक बना रही अंतरराष्ट्रीय संगठनों के लिए यह तय करना खासा मुश्किल है कि पाम तेल और अन्य तिलहन फसलों से आखिर कितनी ग्रीन हाउस गैसों के उत्सर्जन में आती है। यूरोपीय संघ के प्रस्तावित दिशानिर्देश के अनुसार वर्ष 2010 तक बायोफ्यूल से गैस उत्सर्जन में कम से कम 35 फीसदी (फॉसिल फ्यूल के मुकाबले) की कमी आनी चाहिए। वर्ष 2018 तक यह लक्ष्य बढ़कर 60 फीसदी हो जाएगी। यूरोपीय संघ में हुई शुरूआती अध्ययन के अनुसार पाम तेल से बने बायो फ्यूल से सिर्फ 19 फीसदी गैस उत्सर्जन कम होता है। इतनी कम कमी का एक कारण यह है कि पाम के फल की पेराई के समय उसमें से मीथेन गैस निकल जाती है। बेसीरोन के अनुसार मलेशिया 51 फीसदी तक गैस कमी का लक्ष्य हासिल कर सकता है। इसके लिए प्रोसेसिंग तकनीक बदलनी होगी। देश में इस समय 96 फीसदी प्लांट में मीथेन गैस जमा करने की तकनीक नहीं है। फिलहाल 35 फीसदी गैस कटौती का लक्ष्य पाने की जरूरत है। (बिज़नस भास्कर)

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