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25 नवंबर 2009

बढ़ी देश में पुराने सोने की उपलब्धता

मुंबई November 24, 2009
देश में पुराने सोने की उपलब्धता में बढ़ोतरी हुई है।
चालू कैंलेडर वर्ष की तीसरी तिमाही में ऐसे सोने की उपलब्धता में 12.5 फीसदी का इजाफा दर्ज हुआ है। सोने का भाव बढ़ने से रिटेल उपभोक्ताओं द्वारा की जाने वाली पुराने सोने की बिक्री में काफी तेजी देखने को मिली है।
दिग्गज शोध कंपनी जीएफएमएस लिमिटेड द्वारा जुटाए गए आंकड़ों के अनुसार सितंबर 2009 में समाप्त हुई तिमाही में भारतीय रिफाइनरियों को 18 टन पुराने सोने की आपूर्ति हुई जबकि पिछले साल की इसी समयावधि के दौरान यह आंकड़ा 16 टन ही था।
हालांकि पहली दो तिमाहियों के मुकाबले इसमें काफी गिरावट आई है। पहली और दूसरी तिमाही में यह आंकड़ा क्रमश: 64 टन और 23 टन था। पहली तिमाही में सोने का भाव 15,000 रुपये प्रति 10 ग्राम जाते ही अधिकतर उपभोक्ताओं ने पुराना सोना बेच दिया था।
सोने का भाव गिरने की आशंका के कारण दूसरी तिमाही में भी लोगों ने पुराना सोना बेचना जारी रखा। लगातार तीसरी तिमाही के दौरान भी सोने के बढ़ते भाव ने लोगों को भरोसा दिलाया कि उसका भाव मौजूदा 1165 डॉलर प्रति औंस से बढ़कर 1300 डॉलर प्रति औंस तक पहुंच सकता है। इस कारण रिटेल निवेशक पुराना सोना बेचने में थोड़ा झिझक रहे हैं।
पहली तिमाही के दौरान सोने का भाव 14,488 रुपये प्रति 10 ग्राम था। दूसरी तिमाही के दौरान सोने का भाव बढ़कर 14,573 रुपये प्रति ग्राम और तीसरी तिमाही में यह बढ़कर 15,118 रुपये प्रति 10 ग्राम हो गया। तीसरी तिमाही के दौरान फैब्रिकेशन के लिए भारत आने वाले सोने की आपूर्ति 47 फीसदी घटकर 151 टन हो गई।
पिछले साल की इसी समयावधि के दौरान यह आंकड़ा 285 टन था। हालांकि यह चालू वर्ष की दूसरी तिमाही के आंकड़े 123 टन से 23 फीसदी अधिक था। लेकिन पहली तिमाही के दौरान फैब्रिकेशन के लिए आने वाले सोना मात्र 37 टन ही रह गया था।
इसी तरह घरेलू खपत के लिए होने वाला सोने का आयात तीसरी तिमाही में 51 फीसदी घटकर 130 टन रह गया। जबकि पिछले साल की इसी समयावधि में यह आंकड़ा 266 टन था। उपभोक्ताओं की ओर से होने वाली सोने की मांग में कमी आने के कारण महंगा सोना आयात करने का कोई फायदा नहीं है। दूसरी तिमाही में सोने की रिसाइक्लिंग में तेजी से गिरावट आई। (बीएस हिन्दी)

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