कुल पेज दृश्य

30 नवंबर 2009

काली मिर्च में निवेशकों को फायदा संभव

ऊंचे भाव पर काली मिर्च वायदा में भले ही मुनाफावसूली से गिरावट आई हो, लेकिन इसमें निवेशकों के लिए अब भी आकर्षण बना हुआ है। पिछले एक सप्ताह में वायदा बाजार में काली मिर्च के दाम 2।8 फीसदी गिरे हैं। इससे हाजिर बाजार में भी दो फीसदी की मंदी आई है। भारत के साथ दुनिया भर में काली मिर्च का स्टॉक सीमित ही बचा है। इसके अलावा घरेलू बाजार में नई फसल आने में करीब दो महीने का समय है। वियतनाम और इंडोनेशिया में चार महीने बाद नई फसल आएगी। ब्याह-शादियों का सीजन होने से घरेलू मांग अच्छी बनी हुई है। साथ ही अन्य प्रमुख उत्पादक देशों के पास स्टॉक कम होने से भारत से निर्यात मांग भी बढ़ रही हैं। ऐसे में दिसंबर महीने तक काली मिर्च की कीमतों में तेजी के आसार हैं। वायदा में नरमीनिवेशकों की मुनाफावसूली से नेशनल कमोडिटी एंड डेरिवेटिव्स एक्सचेंज लिमिटेड (एनसीडीईएक्स) पर दिसंबर महीने के वायदा अनुबंध में पिछले एक सप्ताह में करीब 2.8 फीसदी का मंदा आया है। चार नवंबर को दिसंबर महीने के वायदा अनुबंध में भाव 15,570 रुपये प्रति क्विंटल थे, जबकि शुक्रवार को भाव घटकर 15,120 रुपये प्रति क्विंटल रह गये। दिसंबर महीने के वायदा अनुबंध में 7,866 लॉट के सौदे खड़े हुए हैं।घरेलू बाजार में स्टॉकपिपर एसोसिएशन के उपाध्यक्ष अजय अग्रवाल ने बताया कि घरेलू बाजार में इस समय काली मिर्च का मात्र आठ-नौ हजार टन का ही स्टॉक बचा हुआ है। जबकि ब्याह-शादियों का सीजन होने से घरेलू मांग अच्छी बनी हुई है। नई फसल की आवक बनने में अभी करीब दो महीने का समय शेष है। इसलिए दिसंबर महीने तक काली मिर्च में तेजी की ही संभावना है। भाव ऊंचे होने और वायदा में गिरावट के कारण कोच्चि मंडी में पिछले एक सप्ताह में काली मिर्च की कीमतों में 300 रुपये की नरमी आकर (एमजी वन क्वालिटी) के भाव 14,800 रुपये प्रति क्विंटल रह गये। मौजूदा कीमतों में 100-200 रुपये की गिरावट के बाद स्टॉकिस्टों की खरीद निकलने की संभावना है।दुनिया के बाजारों का हाल काली मिर्च निर्यातक अनीश रावथर ने बताया कि दुनिया में काली मिर्च का कुल स्टॉक सीमित मात्रा में ही बचा हुआ है। जबकि नई फसल आने में अभी चार महीने का समय शेष है। वियतनाम और इंडोनेशिया में नई फसल फरवरी-मार्च महीने में आयेगी। अक्टूबर महीने के आखिर में इंडोनेशिया और वियतनाम में भारी बारिश से फसल को नुकसान होने की आशंका है। अकेले वियतनाम में ही करीब पांच हजार टन नुकसान की संभावना है। इसलिए अगले दो महीने जब तक घरेलू मंडियों में नई फसल की आवक बनेगी। तब तक काली मिर्च में तेजी के ही आसार हैं। अंतरराष्ट्रीय बाजार में भारतीय काली मिर्च के भाव 3450-3500 डॉलर और वियतनाम की काली मिर्च के भाव 3450 डॉलर प्रति टन (सीएंडएफ) पर चल रहे हैं। ब्राजील और इंडोनेशिया की काली मिर्च के भाव 3300-3350 डॉलर प्रति टन (एफओबी) चल रहे हैं।पैदावार में बढ़त की उम्मीदकाली मिर्च व्यापारी महेंद्र पारिख ने बताया कि सितंबर-अक्टूबर महीने में मौसम प्रतिकूल होने से नये सीजन में काली मिर्च की पैदावार दस फीसदी बढ़ने की संभावना है। वर्ष 2008-09 में देश में काली मिर्च का 45,000 टन का उत्पादन हुआ था। वर्ष 2009-10 में उत्पादन बढ़कर 50,000 टन का होने का अनुमान है।अक्टूबर में निर्यात बढ़ाभारतीय मसाला बोर्ड के अनुसार चालू वित्त वर्ष के अक्टूबर महीने में देश से कालीमिर्च का निर्यात बढ़कर 1500 टन का हुआ है। जबकि पिछले साल अक्टूबर महीने में 1475 टन का ही निर्यात हुआ था। हालांकि चालू वित्त वर्ष के पहले छह महीने में निर्यात 22 फीसदी कम रहा है। अप्रैल से सितंबर तक देश से 9,750 टन कालीमिर्च का निर्यात हुआ है। जबकि पिछले साल की समान अवधि में 12,475 टन का निर्यात हुआ था। (बिज़नस भास्कर.....आर अस राणा)

कोई टिप्पणी नहीं: