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30 दिसंबर 2009

गुलाब निर्यातकों की राह में बिछे हैं कांटे

बंगलुरु : यूरोप समेत दुनियाभर के बाजारों में खराब सेंटीमेंट के चलते भारतीय गुलाब उत्पादकों के कारोबार में नए फूल खिलने की उम्मीदें धूमिल पड़ती जा रही हैं। क्रिसमस से वैलेंटाइन डे तक का 50 दिन का वक्त ही घरेलू फूल उत्पादकों के लिए कारोबार का पीक सीजन होता है। देशभर से होने वाले कुल फूल निर्यात का 40 से 45 फीसदी हिस्सा इसी दौरान ही अंजाम दिया जाता है। कृषि एवं प्रसंस्कृत खाद्य उत्पाद निर्यात विकास प्राधिकरण (अपेडा) के जारी आंकड़ों के मुताबिक, वित्त वर्ष 2007-08 में देश से ताजा फूलों का निर्यात 48।75 करोड़ रुपए का रहा। बंगलुरु के एक गुलाब निर्यातक के मुताबिक, 'क्रिसमस और नए साल पर खरीदारी बेहद धीमी चल रही है। ग्राहकों के मन में आर्थिक मंदी के चलते अब भी आशंका बनी हुई है।' ब्रिटेन के नेशनवाइड बिल्डिंग ग्रुप के मुख्य अर्थशास्त्री मार्टिन गाबर के मुताबिक, 'पिछले कुछ महीनों में ग्राहकों का विश्वास फिर से कमजोर हुआ है। मौजूदा आर्थिक परिदृश्य की वजह से ग्राहकों में नेगेटिव सेंटीमेंट पैदा हो रहा है। लोग भविष्य की उम्मीदों के बजाय मौजूदा माहौल को देखकर आशंकाग्रस्त हैं।' हालिया कंज्यूमर कॉन्फिडेंस रिपोर्ट में भी कहा गया है कि लगातार दो महीने से ग्राहक विश्वास स्थिर बना हुआ है। क्रिसमस और नए साल के लिए देश से निर्यात को लेकर अलग-अलग आशंकाएं जताई जा रही हैं। जानकारों का मानना है कि इसमें 15 से 25 फीसदी तक की गिरावट आ सकती है, वहीं कुछ का मानना है कि देश से इस दौरान निर्यात में 40 फीसदी तक की गिरावट हो सकती है। उत्पादकों का कहना है कि उन पर बढ़ती हुई लागत का लगातार दबाव बढ़ रहा है। उत्पादकों के मुताबिक, पिछले एक साल में उर्वरकों की कीमत में ही 30 फीसदी का उछाल आ चुका है, साथ ही इस लागत को ग्राहकों पर लादना समस्या का हल नहीं है। कारोबारी कह रहे हैं कि इस बार वैलेंटाइन डे के इतवार के दिन पड़ने से भी कारोबार को चोट पड़ना तय है क्योंकि रविवार के दिन ग्राहक ज्यादा खरीदारी नहीं करते हैं। (ई टी हिन्दी)

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