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24 दिसंबर 2009

एमएमटीसी विदेश में तलाश रही सोने की खान

सवाल-जवाब : संजीव बत्रा, अध्यक्ष और प्रबंध निदेशक, एमएमटीसी
दिलीप कुमार झा / December 23, 2009
सार्वजनिक कंपनी मिनरल्स ऐंड मेटल्स ट्रेडिंग कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया यानी एमएमटीसी अपना ध्यान खनिज व्यापार से अब धातु निर्माण की ओर लगा रही है।
कंपनी के अध्यक्ष और प्रबंध निदेशक संजीव बत्रा ने कंपनी की भावी योजनाओं पर दिलीप कुमार झा से बातचीत की। पेश है बातचीत के मुख्य अंश-
एमएमटीसी ने कच्चे लोहे से दाल तक कई बाजारों में हाथ आजमाया और अब सोने और आभूषण के निर्माण में उतरी है। इतना ज्यादा विविधीकरण क्यों?
हम सरकार की तरफ से कई व्यापारिक सौदे करते आए हैं। एमएमटीसी सोने के आयात के लिए नामित एजेंसी है। हम 23 सालों से कई स्थानीय ग्राहकों को सोने की आपूर्ति कर रहे हैं। इस तरह आभूषण निर्माण हमारे व्यवसाय का तर्कसंगत विस्तार है। फिलहाल यह क्षेत्र बढ़िया प्रदर्शन कर रहा है। देश में बेचने के लिए दालों का भी आयात कर रहे हैं।
क्या आप देश के बाहर भी सोने की खानों के अधिग्रहण पर विचार कर रहे हैं?
हमने राष्ट्रीय खनिज विकास निगम (एनएमडीसी) के साथ गठजोड़ किया है ताकि देश के बाहर सोने की खदान के अधिग्रहण की संभावनाएं तलाशी जा सके। एनएमडीसी ने अपना काम शुरू कर दिया है और जल्द ही कोई नतीजा निकल सकता है।
आपने दिल्ली के निकट सोने की रिफाइनरी स्थापित करने के लिए स्विटजरलैंड की एक कंपनी से गठजोड़ किया है। स्क्रैप गोल्ड की आपूर्ति में देरी की वजह से देश की मौजूदा रिफाइनरी फिलहाल अपनी क्षमता का मुश्किल से 30 से 40 फीसदी ही प्रदर्शन दे रही हैं। ऐसे में आप प्रस्तावित रिफाइनरी के लिए कच्चामाल कैसे जुटाएंगे?
सोने के परिशोधन में काफी ज्यादा पूंजी की जरूरत होती है। निजी कंपनियां इसके लिए आवश्यक निवेश करने में सक्षम नहीं हो पाती हैं। पर हमारे लिए बड़े निवेश में कोई समस्या नहीं है। इसलिए सोने के परिशोधन में उतरना हमारे मौजूदा व्यवसाय के लिए सहायक होगा।
प्रस्तावित रिफाइनरी में 147 करोड़ रुपये पूंजी निवेश किया जाएगा। इसमें एमएमटीसी की हिस्सेदारी 26 फीसदी होगी। एमएमटीसी और स्विटजरलैंड की कंपनी के बीच मुनाफे का बंटवारा दो एक के अनुपात में होगा। अप्रैल 2010 तक रिफाइनरी में काम शुरू होने की संभावना है।
एमएमटीसी के कुल कारोबार में सोने के व्यापार और आभूषणों की बिक्री की हिस्सेदारी कितनी है?
एमएमटीसी हीरे, दूसरे महंगे रत्नों और सोने का आयात करने वाली शुरुआती कंपनियों में से एक है। यह भारत की सबसे बड़ी सोने की आयातक है। कंपनी करीब 145 टन सोने का प्रबंधन कर रही है जो सर्राफा कारोबारियों और छोटे और मझोले आभूषण निर्माताओं को दिया जाता है।
यह सोना 20 केंद्रों के माध्यम से बांटा जाता है। हम चांदी के भी बड़े आयातकों में से हैं और करीब 1,250 टन चांदी का प्रबंधन करते हैं। हमारे सालाना 37,000 करोड़ रुपये के कारोबार में बुलियन व्यवसाय का हिस्सा करीब 60 फीसदी है।
क्या आप सोने के आभूषणों के व्यवसाय में कोई ब्रांड उतारने की योजना बना रहे हैं?
हमने गीतांजलि समूह के साथ 'शुद्धि' ब्रांड के अंतर्गत सोने और चांदी के आभूषण उतारने के लिए गठजोड़ किया है। आभूषणों की शुद्धता पर इसमें खास तौर से जोर दिया गया है। हम आधुनिक रिटेल व्यवस्था की सुविधाओं के साथ ग्राहकों को पारंपरिक गहने उपलब्ध कराएंगे।
चांदी के गहनों और बर्तनों के बाजार में हम पहले से ही 'सांची' ब्रांड चला रहे हैं। पर ब्रांडेड गहनों में खास तौर पर ऊपरी उपभोक्ता वर्ग को लक्ष्य किया जाएगा। (बीएस हिन्दी)

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