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30 दिसंबर 2009

जिंसों के दाम ने दिसंबर में किया खरीदारों को खुश

मुंबई December 29, 2009
मौजूदा रबी सीजन में फसलों का उत्पादन बेहतर रहने और खरीफ सीजन में हुई कमी की भरपाई कर देने के अनुमान से वायदा और हाजिर बाजारों में कृषि जिंसों की कीमतों में कमी हुई है।
दिसंबर में लगभग सभी जिंसों के दामों में 5 से 12 फीसदी की कमी हुई है। जानकारों के मुताबिक, यह अभी शुरुआत है और अगले साल भी यह प्रवृत्ति जारी रहेगी। कम उपलब्धता के बावजूद कृषि जिंसों के सस्ता होने से सरकार को बहुत राहत मिली है। इससे आसमान चढ़ चुकी महंगाई को नीचे लाने में मदद मिलेगी।
गौरतलब है कि थोक मूल्य आधारित खाद्य पदार्थों की महंगाई दर इस समय 19 फीसदी तक जा चुकी है। सरकार ने पहले ही अनुमान जताया था कि शीत ऋतु की कटाई के बाद दामों में कमी होगी। इस अनुमान का आधार रबी फसलों के रकबे में हुई जोरदार वृद्धि जिससे खरीफ सीजन के दौरान हुई कमी की भरपाई हो गई।
गेहूं, राई, सरसों और चना की बुआई बढ़ने से रबी फसलों का कुल रकबा 1 फीसदी बढ़ गया। गेहूं का रकबा 26 नवंबर तक 5 फीसदी बढ़कर 1.37 करोड़ हेक्टेयर हो गया। सरसों, राई और चना के रकबे में 3 और 1 फीसदी की तेजी हुई। हालांकि रबी फसलों का कुल उत्पादन अनुमान जनवरी अंत तक ही स्पष्ट हो पाएगा।
इस बीच सरकार ने खरीफ सीजन के चावल उत्पादन अनुमान को 22 लाख टन बढ़ाकर 7.16 करोड़ टन कर दिया है। विश्लेषकों का तर्क है कि खरीफ सीजन के दौरान पड़ा सूखा सामान्य सूखे से अलग था। खरीफ सीजन में धान के उत्पादन में हुई कमी की आंशिक भरपाई रबी फसलों से हो जाएगी।
पहले अनुमान था कि खरीफ सीजन के अनाज उत्पादन में 2.1 करोड़ टन की कमी होगी। अब अनुमान है कि उत्पादन में केवल 1.87 करोड़ टन की कमी हो सकती है। एनसीडीईएक्स के मुख्य अर्थशास्त्री मदन सबनाविस के मुताबिक, 'कृषि उत्पादों की ऊंची कीमत दो वजहों से रही है। एक, कमतर उत्पादन और दूसरा आधार वर्ष का प्रभाव कम रहना।
सामान्यत: खरीफ फसलों की कीमतें अक्टूबर से जनवरी के बीच कम होती है। फसलों के बाजार में आ जाने से कीमतें अब कम हो रही हैं।' सबनाविस हालांकि कहते हैं कि यह बहस का मामला हो सकता है कि क्या कुछ जिंसों की कीमतें कम होने का मतलब महंगाई पर विजय पा लेना है। दरअसल इन जिंसों के दाम पिछले साल की तुलना में अब भी ऊंची बनी हुई है।
पिछले हफ्ते कृषि मंत्री शरद पवार ने खुले बाजार में गेहूं की कीमतों में 200 रुपये की कमी करने का ऐलान किया था। गेहूं का उत्पादन अनुमान पिछले साल के 7.8 करोड़ टन से थोड़ा ज्यादा यानी 8 करोड़ टन है। कोटक कमोडिटी सर्विसेज लिमिटेड के आमोल तिलक ने बताया, 'मार्च की शुरुआत तक गेहूं और सस्ता होगा क्योंकि तब तक कटाई शुरू हो जाएगी।'
एक अन्य विश्लेषक ने कहा कि दाल का समीकरण कुछ अलग है। इसका उपयोग सीमित होता है। इसलिए इसके दाम में तेजी होने से किसानों को फायदा ही होता है जबकि बजट उतना प्रभावित नहीं होता। इसके दाम थोड़ा चढ़ने से बुआई को प्रोत्साहन मिलता है। चीनी का उत्पादन पिछले साल से ज्यादा तो होगा पर यह जरूरत से कम होगा। (बीएस हिन्दी)

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