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20 जनवरी 2010

देसी व्यापारियों को रास नहीं आ रही हैं ई-मंडियां

मुंबई January 20, 2010
मुसद्दी लाल खरे (बदला हुआ नाम) वाशी स्थित कृषि उत्पाद बाजार समिति (एपीएमपी) के अनाज कारोबारी हैं।
वे स्थानीय ब्रोकरों और आढ़तियों के साथ कारोबार कर खुश हैं और रोजाना खरीद और बिक्री के लिए बने ऑनलाइन एक्सचेंज से कारोबार नहीं करना चाहते। वे अनाज ब्रोकरों से रोजाना 10 लाख टन से ज्यादा गेहूं और दाल का कारोबार करते हैं।
वे ऑनलाइन कारोबार में दो कारणों से नहीं आना चाहते। पहला- आढ़तिए अपने साथ 250 ग्राम अनाज लाते हैं, जिससे उन्हें अनाज की गुणवत्ता की परख करने और उसका दाम लगाने में आसानी होती है और दूसरा- यह परंपरागत धारणा है कि इस तरह का कारोबार करोड़ों में फोन पर हो जाता है और उसमें ज्यादा कागजी कार्रवाई की जरूरत बहुत कम पड़ती है।
अगर आपूर्ति किए गए माल में गुणवत्ता में अंतर आता है तो खरे के पास एक बार फिर मोलभाव का अवसर होता है। वे ब्रोकरों और खरीदारों के बीच माध्यम का काम करते हैं, जो एपीएमसी के थोक बिक्रेता और मुख्यत: आढ़तिए और प्रसंस्करण मिलें होती हैं।
खरे कहते हैं कि अगर आप ऑनलाइन स्पॉट एक्सचेंज के माध्यम से खरीदारी करते हैं तो इस तरह का आत्मविश्वास और स्वतंत्रता नहीं पा सकते हैं, जो अभी मुश्किल से एक साल पुराने है। भारत एक कृषि प्रधान देश है। देश की 60 प्रतिशत से ज्यादा आबादी खेती पर निर्भर है।
बावजूद इसके, दोनों हाजिर एक्सचेंज- एमसीएक्स प्रवर्तित नैशनल स्पॉट एक्सचेंज लिमिटेज (एनएसईएल) और एनसीडीईएक्स प्रवर्तित एनसीडीईएक्स स्पॉट एक्सचेंज मात्रा और मूल्य के हिसाब से कोई उल्लेखनीय कारोबार करने में सक्षम नहीं हो रहे हैं। ये दोनों 19 कृषि जिसों का कारोबार कर रहे हैं। बहरहाल इन एक्सचेंजों के कुल कारोबार में गैर कृषि जिंस के कारोबार की भूमिका अहम है।
वाशी के गेहूं के कारोबारी भवेश ऐंड कंपनी के विनोद शाह का कहना है कि उत्पादों की गुणवत्ता को लेकर एक्सचेंजों के कारोबार में पारदर्शिता का अभाव है। गेहूं का उदाहरण देते हुए वे कहते हैं कि एमपी सीहोर किस्म की 5 विभिन्न किस्में हैं या लोकवान की 10 विभिन्न किस्में हैं, जिनके दाम में गुणवत्ता के आधार पर 400-500 रुपये क्विंटल का अंतर है।
अगर इन जिंसों का नमूना आपकी मेज पर है तो इनकी कीमतों का अनुमान आप लगा सकते हैं और यह काम आढ़तिए आसानी से करते हैं। उन्होंने कहा कि ऑनलाइन कारोबार में गुणवत्ता के इस अंतर को परखने का मौका नहीं है, जिसकी वजह से हमें कारोबार करने में दिक्कत आ रही है।
वाशी के दाल के कारोबारी मोहन गोरी भी इससे सहमत हैं। इस समस्या के साथ ऑनलाइन कारोबार में मुनाफे को लेकर भी स्पष्टता नहीं है। गोरी ने कहा कि अगर आप आढ़तियों से खरीदारी करते हैं तो अनाज की सफाई आपके गोदाम में होती है और उसे आप सुविधापूर्वक उपभोक्ताओं को दे सकते हैं। लेकिन अगर आप ऑनलाइन कारोबार करते हैं तो साफ किए गए जिंस की कीमत ज्यादा हो जाती है, जिससे बिक्रेता को मुनाफा होता है, हमें नहीं।
इसके साथ ही अगर आप इसका कारोबार किसी दूसरे कारोबारी से करते हैं तो अगर माल खराब होने पर कारोबार में दिक्कत आती है तो आप आढ़तिए को आसानी से पकड़ सकते हैं। ऑनलाइन कारोबार में केवल कारोबार का प्लेटफार्म मिलता है। न तो बिक्रेता खरीदार को जानता है और न खरीदार बिक्रेता को जानता है। गोरी सवाल करते हैं कि ऐसे में आप करोड़ो रुपये कैसे फंसा सकते हैं?
एनस्पॉट के प्रमुख राजेश सिन्हा ने कहा, 'कारोबार का परंपरागत विश्वास तोड़ना बहुत बड़ी चुनौती है। हम मात्रा के आधार पर कारोबार करते हैं। कारोबारी निश्चितता और अनिश्तिता को लेकर हिचकिचाते हैं। इलेक्ट्रॉनिक प्लेटफार्म पर तब तक कोई कारोबारी नहीं आना चाहेगा, जब तक कि मुनाफे और कारोबार को लेकर निश्चिंतता न रहे और स्पॉट एक्सचेंज इसके लिए कोशिश कर रहे हैं।'
उन्होंने कहा कि युवा पीढ़ी परंपरागत तरीके छोड़ रहे हैं और बिजनेस में वे राष्ट्रीय और वैश्विक बदलाव के बारे में भी जानना चाहते हैं। सामान्य धारणा है कि स्पॉट एक्सचेंज, वायदा एक्सचेंजों की तरह ही कारोबार करते हैं, यह भी हमारे लिए बड़ी चुनौती है।
एनएससीएल के एमडी और सीईओ अंजनि सिन्हा के मुताबिक, 'एक्सचेंज तमाम नए प्रयोग कर रहा है और तमाम नए उत्पाद पेश कर रहा है। इसमें अनाज की बोली, संयुक्त कारोबार आदि शामिल है, जिससे कारोबारियों की हिस्सेदारी बढ़े। एनएससीएल ने अगले वित्त वर्ष तक कारोबार को बढ़ाकर 100 करोड़ रुपये तक करने का लक्ष्य रखा है, जबकि इस समय का रोजाना कारोबार 10-15 करोड़ रुपये है।' (बीएस हिन्दी)

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