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28 जनवरी 2010

मिलें बेच सकेंगी कच्ची चीनी!

नई दिल्ली January 27, 2010
केंद्र सरकार बंदरगाहों के गोदामों में पड़ी आयातित कच्ची चीनी के प्रसंस्करण की समस्या पर गंभीर है।
जल्द ही आयात करने वाली मिलों को किसी अन्य मिल को कच्ची चीनी बेचने की अनुमति मिल सकती है। सरकार का मानना है कि इससे चीनी के प्रसंस्करण में तेजी लाने और घरेलू आपूर्ति बढ़ाने में मदद मिलेगी।
सूत्रों ने बताया कि बुधवार को प्रधानमंत्री की अध्यक्षता में हुई एक बैठक में इस संबंध में निर्णय किया गया है। बैठक में कृषि मंत्री शरद पवार और उद्योग के प्रतिनिधियों ने हिस्सा लिया। उल्लेखनीय है कि चीनी मिलों द्वारा आयातित करीब 9 लाख टन कच्ची चीनी विभिन्न बंदरगाहों के गोदामों में पड़ी है।
गन्ने की कीमतों को लेकर किसानों के विरोध के बाद उत्तर प्रदेश की सरकार ने पेराई सीजन खत्म होने तक (मार्च तक) कच्ची चीनी के प्रसंस्करण पर रोक लगा दी है। सूत्रों ने कहा, 'बैठक में आयातित कच्ची चीनी के प्रसंस्करण के मुद्दे के अलावा चीनी की कीमत स्थिति पर भी चर्चा की गई। आयातित कच्ची चीनी को अन्य मिलों को बेचने की छूट देने पर सहमति बनी।'
सूत्रों ने कहा कि इस सिलसिले में खाद्य मंत्रालय आवश्यक अध्यादेश जारी करेगा। इस महीने की शुरुआत में कीमतों पर कैबिनेट कमेटी ने उत्तर प्रदेश में चीनी मिलों को अन्य राज्यों में आयातित कच्ची चीनी के प्रसंस्करण की अनुमति दी थी। बहरहाल प्रसंस्करण शुल्क के मसले पर महाराष्ट्र की मिलों से अब तक कोई समझौता नहीं हो पाया है।
उत्तर प्रदेश की मिलें जहां 4000 रुपये प्रति टन से ज्यादा प्रसंस्करण शुल्क देने को तैयार नहीं हैं, महाराष्ट्र और गुजरात की मिलें इसके लिए 6000 रुपये प्रति टन मांग रही हैं। जनवरी 2009 के बाद चीनी की कीमतें दोगुने से ज्यादा हो चुकी हैं और खुदरा बाजार में चीनी 45 रुपये प्रति किलो के भाव बिक रही है।
अभी 16 लाख टन चीनी आयात की जरूरत
चालू चीनी वर्ष में सितंबर तक घरेलू बाजार में चीनी की कमी को पूरा करने के लिए भारत को 16 लाख टन अतिरिक्त चीनी आयात की जरूरत होगी।
इंडियन शुगर मिल्स के कार्यकारी निदेशक एमएन राव ने कहा कि भारत ने 70 लाख टन चीनी का आयात पिछले साल अप्रैल के बाद से किया है। पिछले 15 दिनों से अंतरराष्ट्रीय बाजार में कीमतें ज्यादा होने की वजह से कोई सौदे नहीं हुए हैं।
राहत की तैयारी
प्रधानमंत्री ने की चीनी मिल मालिकों और कृषि मंत्री के साथ बैठकबंदरगाहों पर पड़ी कच्ची चीनी बेचने की मिलों को मिल सकती है छूट (बीएस हिन्दी)

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