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26 फ़रवरी 2010

एक अरब से अधिक की आबादी में 37 फीसदी गरीब

मंदी का दौर हल्का पडने के बाद सरकार भले ही अर्थव्यवस्था की गुलाबी तस्वीर पेश कर रही हो लेकिन आज पेश आर्थिक समीक्षा में गरीबी की स्थिति को दुर्भाग्यपूर्ण बताते हुए कहा गया कि गरीबी मिटाने के लिए भारत को अभी लंबा रास्ता तय करना है।वित्त मंत्री प्रणव मुखर्जी द्वारा लोकसभा में पेश आर्थिक समीक्षा में कहा गया, ‘‘ हमारी नीतियों की चरम कसौटी गरीबी को कम करने में उनकी सफलता के संदर्भ में होनी चाहिए. दुर्भाग्य से गरीबी के मोर्चे पर भारत को अभी काफी रास्ता तय करना है.’’ समीक्षा में योजना अयोग द्वारा गठित विशेषज्ञ समूह की रपट के हवाले से कहा गया कि भारत की कुल गरीबी 37.2 प्रतिशत होने का अनुमान है. इसका मतलब यह है कि हमारी एक अरब से अधिक की जनसंख्या का 37 प्रतिश्त से थोडा अधिक हिस्सा गरीबी रेखा से नीचे जीवन बसर कर रहा है और खासकर ग्रामीण जनसंख्या का 41.8 प्रतिशत और शहरी जनसंख्या का 25.7 प्रतिशत हिस्सा गरीब है.समीक्षा में कहा गया, ‘‘ यदि हम भारत की गरीबी दर 37.2 प्रतिशत अथवा एनएसएस के आंकडों के मुताबिक 27.5 प्रतिशत मान लें तो यह कहना आसान होगा कि यह दर भारत जैसे तेजी से विकसित होते देश के लिए बहुत अधिक है और इसका मुकाबला करने के लिए विशेष उपाय करने की जरूरत है.’’ (आज तक)

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