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22 फ़रवरी 2010

...ताकि कम पड़े किसानों पर बोझ

नई दिल्ली February 22, 2010
सरकार द्वारा 1 अप्रैल 2010 से उर्वरक की कीमतों को नियंत्रण मुक्त किए जाने के बाद सरकार यह सुनिश्चित करना चाहती है कि कंपनियां इसकी कीमतें एक बार में 5 प्रतिशत से ज्यादा न बढ़ाएं।
खरीफ और रबी सीजन की फसलों पर विचार करने वाली अंतरमंत्रिमंडलीय समिति की बैठक में सभी पोषकों की सब्सिडी पर विचार किया जाएगा, जिसमें सेकंडरी और माइक्रो न्यूट्रिएंट शामिल हैं। इस कवायद में यह भी ध्यान रखा जाएगा कि सब्सिडी का प्रवाह और स्थिरता बरकरार रहे।
उर्वरक सचिव एस कृष्णन की अध्यक्षता वाली समिति यह देखेगी कि प्रत्येक पोषक पर कितनी सब्सिडी दी जाए। इसमें माइक्रो न्यूट्रिएंट के साथ सभी पोषक शामिल होंगे और इनकी कीमतों पर हर छह महीने में एक बार विचार किया जाएगा। बिजनेस स्टैंडर्ड को यह जानकारी मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने दी।
वित्त वर्ष 2010-11 के लिए प्रत्येक पोषक पर दी जाने वाली सब्सिडी के बारे में एक अधिसूचना जारी की जाएगी। इसमें नाइट्रोजन, फास्फोरस, पोटाश, सल्फर सहित सेकंडरी और माइक्रोन्यूट्रिएंट शामिल होंगे। बहरहाल कीमतों पर विचार करने के लिए समिति हर 6 महीने बाद कीमतों की समीक्षा करेगी।
इस समिति में वित्त मंत्रालय, कृषि मंत्रालय, योजना आयोग के सचिव सदस्य के रूप में शामिल होंगे। समिति नए उर्वरक पेश किए जाने के बारे में भी सिफारिश करेगी, जिस पर सब्सिडी दी जाएगी।
अधिकारी ने कहा, 'खरीफ और रबी के पहले समिति की एक बार बैठक होगी और यह सत्र के लिए कीमतें तय करते समय यह ध्यान रखेगी कि कीमतों में 5 प्रतिशत से ज्यादा की बढ़ोतरी न हो। समिति इस बात का खास खयाल रखेगी कि इससे किसानों के हितों पर बुरा प्रभाव न पड़े।'
पोषकों और उर्वरकों पर सब्सिडी तय होने के बाद सब्सिडी युक्त उर्वरक की खुदरा कीमतें कंपनियां तय करेंगी। टाटा केमिकल्स के कार्यकारी निदेशक कपिल मेहन ने कहा, 'इससे स्थिरता का वातावरण बनेगा। कीमतों में थोड़ी भी बढ़ोतरी का सीधा असर भारत में खरीदारी पर पड़ता है। इसका परिणाम यह होता है कि वैश्विक रूप से कीमतें प्रभावित होती हैं। (बीएस हिंदी)

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