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23 फ़रवरी 2010

ब्राजील पर छाने को तैयार रेणुका शुगर्स

नई दिल्ली : जब खाद्य एवं ईंधन क्षेत्र की कोई भारतीय कंपनी पहली बार ब्राजील में निवेश करने जाए और चार महीने के भीतर 41 करोड़ डॉलर में वहां की दो चीनी कंपनियों का अधिग्रहण कर ले, तो इससे यह साफ हो जाता है कि वह वहां केवल चीनी की कीमतों पर दांव लगाने नहीं गई है, बल्कि वैश्विक एग्री कारोबार में रणनीतिक पैठ बनाने की कोशिश कर रही है। खेती की जमीन हड़पकर विस्तार करने वाले औद्योगिकीकरण और शहरीकरण भारत को विदेश से खाद्य उत्पादों के स्त्रोत तलाशने पर मजबूर करेंगे। और विशाल भूखंड, धूप और पानी रखने वाला ब्राजील भारतीय कंपनियों को अगले प्रमुख कृषि अवसर के रूप में बहुराष्ट्रीय बनने का संकेत दे रहा है। देश की सबसे बड़ी चीनी रिफाइनर कंपनी श्री रेणुका शुगर्स (एसआरएसएल) के प्रबंध निदेशक नरेंद्र मुरकुंबी ने कहा, 'भारत में खाद्य उत्पाद की कंपनियों के लिए विदेश में निवेश करना अब जरूरी हो गया है।' एसआरएसएल ने रविवार को ब्राजील की पांचवी सबसे बड़ी चीनी और एथनॉल कंपनी इक्विपाव में 51 फीसदी हिस्सेदारी खरीद ली। नवंबर में उसने 'वैले डू इवाई एक्यूकार ई एलकूल' का अधिग्रहण किया था। दोनों कंपनियां बीते कुछ वर्षों से कर्ज के बोझ तले दबी कराह रही थीं। पेरिस की एक कंसल्टेंसी फर्म के मार्केट एनालिस्ट जोनाथन किंग्समैन ने कहा, 'यह ब्राजील के चीनी और एथनॉल उद्योग में जताए जाने वाले भरोसे का संकेत है। इक्विपाव काफी आधुनिक और पहले दर्जे की कंपनी है। ब्राजीली उद्योग वैश्विक आर्थिक संकट की वजह से इन दिनों मुश्किल के दौर से गुजर रहा है। लेकिन यह विश्वस्तरीय उद्योग है।' यह छोटे उस्ताद का बड़े उस्ताद को बचाने का उदाहरण है। इक्विपाव के दोनों कारखाने भारत में एसआरएसएल की आठ मिलों के संयुक्त उत्पादन से कहीं ज्यादा चीनी तैयार करते हैं। वैले और इक्विपाव, दोनों मिलकर इतना एथनॉल तैयार करती हैं कि अकेले दम पर 5 फीसदी पेट्रोल की जगह एथनॉल इस्तेमाल करने से जुड़े भारत के कार्यक्रम को पूरा कर सकती हैं। इसके अलावा, इक्विपाव का हर कारखाना हर साल 295 मेगावाट बिजली बनाता है। साथ मिलाकर देखें, तो एसआरएसएल ब्राजील और भारत के कारखानों तथा रिफाइनरियों की करीब 40 लाख टन चीनी तथा 70 करोड़ लीटर एथनॉल संभालेगी। उन्होंने कहा, 'मेरा मानना है कि यह दुनिया में सबसे ज्यादा चीनी उत्पादन करने वाले दो मुल्कों के बीच सामंजस्य बैठाता है। दोनों कंपनियों की श्रेष्ठ गतिविधियों को शामिल किया जाएगा।' एसआरएसएल के लिए फायदे दोतरफा होंगे: कमोडिटी और लोकेशन। सबसे पहले चीनी को लीजिए। सबसे बड़ी उत्पादक होने के नाते एसआरएसएल को वैश्विक स्तर पर चीनी की कमी से मुनाफा बनाने में मदद मिलेगी, क्योंकि प्रोसेस्ड खाद्य उत्पादों, चॉकलेट, बिस्कुट और सॉफ्टड्रिंक के लिए उपभोक्ता मांग गन्ने की खेती की क्षमता से कहीं ज्यादा है। इसके अलावा, एसआरएसएल की दो भारतीय रिफाइनरियां एशिया के तमाम बाजारों में निर्यात के लिए ब्राजीली कच्ची चीनी को रिफाइन कर सकती हैं। कंपनी के एक अधिकारी ने कहा, 'अब हम उन बाजारों तक पहुंच सकते हैं, जो ईयू और ऑस्ट्रेलिया जैसे शीर्ष निर्यातकों के जाने से खाली हो गए हैं।' (ई टी हिंदी)

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